माननीय मंत्री, कृषि विभाग, बिहार डाॅ॰ प्रेम कुमार ने कहा कि बिहार के सभी जिलों में आम का उत्पादन होता है। देश में कुल आम उत्पादन में बिहार का स्थान 5वाँ है। बिहार में लगभग 1 लाख 53 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में आम की खेती की जाती है और राज्य में लगभग 15 लाख 33 हजार मैट्रिक टन आम का उत्पादन होता है। उन्होंने कहा कि आम की सही देखभाल कर इसकी उत्पादकता में बढ़ोत्तरी की जा सकती है। आवश्यक जानकारी के अभाव में किसान भाई-बहन को आम के उत्पादन से अपेक्षित लाभ नहीं मिल पाता है। अब समय आ गया है कि आम के मंजरो की देख-भाल प्रारम्भ किया जाये। कभी-कभी देखा जाता है कि भरपूर मंजर आने के बावजूद भी मंजरों की सुरक्षा नहीं हो पाने के कारण आम का फलन बहुत कम हो जाता है या कभी-कभी नहीं हो पाता है। आम के मंजरों पर मधुआ कीट, दहिया कीट, मृदरोमिल और एन्थ्रेकनोज जैसी कीट/व्याधियों का आक्रमण मुख्य रूप से होता है। इनसे आम के मंजरों की सुरक्षा के लिए तीन छिड़काव सही-समय पर करने से आम का उत्पादन अच्छा होता है।
माननीय मंत्री ने कहा कि आम में पहला छिड़काव मंजर निकलने के पहले किसी एक अनुशंसित कीटनाशी से किया जाता है, जिसे किसान पेड़ को धोना कहते हैं। पहला छिड़काव इस तरह किया जाना चाहिए कि कीटनाशी पेड़ की छाल के दरारों में छुपे मधुआ कीट तक पहुँचे, क्योकि ये वायुमंडल का तापमान बढ़ने के साथ अपनी संख्या वृद्धि में लग जाते हैं। आम के मंजरों में सरसों के आकार का दाना लग जाने पर कीटनाशी के साथ-साथ किसी एक फफूँदनाशी को मिलाकर छिड़काव करने से मंजर को सुरक्षित किया जा सकता है। किसान भाई-बहन अपने नजदीक के पौधा संरक्षण पदाधिकारी अथवा कृषि पदाधिकारी से सुझाव प्राप्त कर इस पर नियंत्रण कर सकते है।
डाॅ॰ कुमार ने पौधा संरक्षण संभाग के पदाधिकारियों एवं कर्मचारियों को निदेश दिया कि वे क्षेत्र में सतत् भ्रमण करते रहें एवं आम फसलों पर कीट व्याधी का नियंत्रण करने हेतु किसान भाई-बहनों को समय पर समुचित सलाह अवश्य दंे ताकि राज्य में आम के उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि लाया जा सके।