माननीय मंत्री, कृषि विभाग, बिहार डाॅ॰ प्रेम कुमार ने कहा कि सरकार द्वारा इस वित्तीय वर्ष 2019-20 में राष्ट्रीय संधारणीय कृषि मिशन के अंतर्गत मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना का बिहार राज्य में कार्यान्वयन हेतु 2246.397 लाख रूपये की निकासी एवं व्यय की स्वीकृति प्रदान की गई है।
माननीय मंत्री ने कहा कि इस वित्तीय वर्ष में पायलेट प्रोजेक्ट के तहत् राज्य के प्रत्येक जिला के प्रत्येक प्रखण्ड में 01 राज्यस्व ग्राम का चयन कर इस ग्राम के प्रत्येक फार्म होल्डिंग से मिट्टी नमूना संग्रहण कर जाँचोपरान्त मृदा स्वास्थ्य कार्ड के आधार पर प्रत्यक्षण किये जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उन्होंने कहा कि बिहार राज्य के लिए कुल 348650 मिट्टी का नमूना संग्रहण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस योजना में स्वीकृत राशि मिट्टी नमूना की जाँच के अतिरिक्त किसान मेला का आयोजन, प्रत्यक्षण एवं मिशन प्रबंधन मद पर किया जायेगा।
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाने के लिए मृदा नमूनों को संग्रह कर इसका प्रयोगशालाओं में निःशुल्क जाँच की जाती है। असंतुलित उर्वरकों का प्रयोग, फसल सघनीकरण, जनसंख्या का दवाब, बढ़ते प्रदूषण एवं अनुपयुक्त कृषि क्रियाओं के कारण मिट्टी के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहा कि मानव समृद्धि एवं मानव सभ्यता के अस्तित्व तथा पारिस्थितिक तंत्र के संतुलन को बनाये रखने में मिट्टी की भूमिका महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने आगे बताया कि दीर्घकाल तक अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए यह आवश्यक है कि खेती के मिट्टी के स्वास्थ्य का भरपूर ध्यान रखा जाये। इसके लिए समय-समय पर मिट्टी की जाँच करानी चाहिए तथा मिट्टी जाँच की अनुशंसा के आधार पर फसल के लिए जैविक एवं रासायनिक उर्वरकों की अनुशंसित मात्रा का उपयोग किया जाये। उन्होंने कहा कि अनुशंसित मात्रा में उर्वरकों के उपयोग से मिट्टी का स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है, खेती की लागत में कमी आती है तथा फसलों के उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि होती है और इस प्रकार किसानों के आय में बढ़ोत्तरी होती है।
डाॅ॰ कुमार ने कहा कि मिट्टी उर्वरता बनाये रखने के लिए मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन के अंतर्गत किसान भाई-बहन मिट्टी जाँच के आधार पर द्वितीयक और लघु पोषक तत्त्वों सहित उर्वरकों का प्रयोग करें। कम्पोस्ट, हरी खाद एवं जैव उर्वरकों का उपयोग करें। मिट्टी के आॅर्गेनिक कार्बन का रख-रखाव करें तथा खेती के पश्चात् फसल अवशेष को मिट्टी में मिला दें। उन्होंने राज्य के अन्नदाता किसान भाइयों एवं बहनों से अपील किया कि वे अपने-अपने खेत के मिट्टी की जाँच कराकर इस योजना का लाभ उठायें।