टिकाऊ खेती, पर्यावरण संरक्षण एवं उत्तम मानव स्वास्थ्य के लिए जैविक खेती करें किसान -डाॅ॰ प्रेम कुमार

माननीय मंत्री, कृषि विभाग, बिहार डाॅ॰ प्रेम कुमार ने कहा कि राज्य में सीमित खेती योग्य भूमि एवं बढ़ती हुई जनसंख्या के भरण-पोषण तथा आमदनी बढ़ाने हेतु किसानों के द्वारा अधिकाधिक मात्रा में रासायनिक उर्वरकों का व्यवहार किया जा रहा है। लेकिन इसके बावजूद फसलों का उत्पादन आशानुकूल नहीं बढ़ रहा, बल्कि इसके पैदावार में एक वृद्धि के बाद स्थिरता आ रही है। उन्होंने कहा कि अधिक रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से मिट्टी की उर्वरा-शक्ति छिन्न होती है। साथ ही, पर्यावरण भी बूरी तरह दूषित हो रहा है। इसका दुष्प्रभाव मानव जीवन के साथ-साथ समस्त जीव-जन्तुओं पर भी पड़ रहा है। इसके फलस्वरूप प्रकृति में भी बदलाव देखा जा रहा है। इस प्रभाव कम करने की दिषा मंे जैविक खेती मील का पत्थर साबित होगा। राज्य सरकार द्वारा इसी के मद्देनजर राज्य में जैविक खेती प्रोत्साहन योजना की शुरूआत की गई है।
माननीय मंत्री ने कहा कि राज्य में प्रथम चरण में जैविक कोरिडोर के रूप में 13 जिले यथा पटना, नालंदा, भोजपुर, बक्सर, सारण, वैषाली, समस्तीपुर, बेगूसराय, लखीसराय, खगड़िया, मुंगेर, कटिहार एवं भागलपुर में योजना प्रारम्भ किया गया है। इन जिलों में कुल 21,000 एकड़ में जैविक खेती की शुरूआत की गई है। उन्होंने कहा कि इस योजना के द्वितीय चरण में इसके अतिरिक्त राज्य के शेष 25 जिलों में भी 20,000 एकड़ में जैविक खेती की शुरूआत की जा रही है। इसके अतिरिक्त, राज्य में रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाषियों पर किसानों की निर्भरता कम करने के उद्देष्य से वर्मी कम्पोस्ट पीट का निर्माण, गोबर/बायो गैस, हरी खाद योजना, वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन इकाई एवं जैव उर्वरक उत्पादन इकाई के निर्माण पर भी कार्य किया जा रहा है।
डाॅ॰ कुमार ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2019-20 में 1.22 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हरी खाद को उगाया गया। साथ ही, अगले वित्तीय वर्ष 2020-21 में 6.38 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हरी खाद योजना का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। विगत वर्ष 2018-19 में 1.11 लाख मेट्रिक टन वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन हुआ, जिसका उपयोग जैविक खेती में किया जा रहा है। उन्होंने टिकाऊ खेती के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण एवं उत्तम मानव स्वास्थ्य के लिए किसानों से जैविक खेती करने की अपील किया।
 

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