माननीय मुख्यमंत्री, बिहार श्री नीतीश कुमार द्वारा दिनांक 28.05.2019 को ‘‘संवाद’’, मुख्यमंत्री सचिवालय, पटना से खरीफ महाभियान रथों एवं बीज वाहन विकास वाहन रथों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। इस समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में माननीय उप मुख्यमंत्री, बिहार श्री सुशील कुमार मोदी मौजूद थे। इसकी अध्यक्षता डाॅ॰ प्रेम कुमार, माननीय मंत्री, कृषि विभाग, बिहार द्वारा किया गया। इस अवसर पर श्री सुधीर कुमार, प्रधान सचिव, कृषि विभाग, श्री आदेश तितरमारे, कृषि निदेशक, श्री रवीन्द्रनाथ राय, विशेष सचिव, श्री नन्द किशोर, निदेशक, उद्यान सहित कृषि विभाग के मुख्यालय के पदाधिकारी एवं सभी जिलों के परियोजना निदेशक, आत्मा उपस्थित थे।
कृषि विभाग द्वारा खरीफ मौसम में संचालित योजनाओं के बारे में किसानों को जानकारी उपलब्ध कराने हेतु संबंधित जिला के अंतर्गत प्रखण्ड/ग्राम पंचायत/ग्राम स्तर पर किसानों के बीच कार्यक्रम के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से प्रत्येक जिला के लिए दो-दो रथों को तैयार किया गया है, जिनमें एक खरीफ महाभियान रथ तथा दूसरा बीज वाहन विकास वाहन रथ है। खरीफ महाभियान रथ कृषि से संबंधित सूचनाओं तथा श्रव्य यंत्रों से युक्त है तथा दूसरा बीज वाहन विकास वाहन रथ, जिस पर खरीफ फसलों के बीज एवं इनके बीजोपचार हेतु कीटनाशी रसायन उपलब्ध रहेगा, जिसे चयनित किसानों को आॅन-द-स्पाॅट अनुदान पर उपलब्ध कराते हुए बीजोपचार भी किया जायेगा। जिस दिन संबंधित प्रखंड में प्रखंडस्तरीय प्रशिक्षण-सह-उपादन वितरण शिविर का कार्य सम्पन्न होगा उसके एक या दो दिन पहले इन रथों को संबंधित प्रखंड अंतर्गत गाँवों में घुमाया जाएगा, ताकि किसानों के बीच इसका व्यापक प्रचार-प्रसार हो सके और किसानों की सहभागिता अधिक-से-अधिक सुनिश्चित हो सके। इसमें प्रथम दिन किसानों को कृषि से संबंधित तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाएगा तथा दूसरे दिन से चयनित किसानों को विभाग द्वारा संचालित योजना/कार्यक्रमों के लिए उपादान क्रय करने पर अनुदान उपलब्ध कराया जाएगा।
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य धान के उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने हेतु धान की समय से बुआई, सिंचाई, जल प्रबंधन के साथ-साथ श्री विधि से धान की खेती, जीरो टिलेज एवं सीड ड्रिल के उपयोग का व्यापक प्रचार-प्रसार, धान की सीधी बुआई, पैडी ट्रांसप्लांटर से धान की खेती, बागवानी फसलों के उत्पादन को बढ़ाना है। इस कार्यक्रम के माध्यम से अनुशंसित बीजों की उपलब्धता के साथ-साथ किसानों को खरीफ मौसम में उगायी जाने वाली फसलों की खेती को वैज्ञानिक तरीके से करने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जायेगा।
कृषि विभाग द्वारा योजनाओं की जानकारी किसानों को उपलब्ध कराने, खरीफ मौसम की खेती-बारी की तकनीकी जानकारी उन्हें उपलब्ध कराने, उनके फसलों की उत्पादकता एवं उत्पादन बढ़ाने तथा किसानों की आमदनी में वृद्धि के लिए इस कार्यक्रम को चलाने का निर्णय लिया गया है। राज्य मेें उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों यथा मिट्टी जल एवं पर्यावरण को संरक्षित रखते हुए किसानों की आमदनी में वृद्धि करने हेतु कृषि विभाग कृत संकल्पित है। खरीफ में व्यापक लक्ष्य निर्धारित किये गये हैं। राज्य के किसानों को उपादान तथा योजनाओं में विहित अनुदान सुलभ एवं पारदर्शी तरीके से उपलब्ध कराने की विशेष व्यवस्थायें की गई हैं। लक्ष्य की प्राप्ति हेतु प्रशासनिक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण पर विशेष बल दिया जा रहा है। खरीफ में कुल 39.12 लाख हेक्टेयर में विभिन्न फसलों की खेती से कुल 123.25 लाख मैट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस खरीफ मौसम में 33 लाख हे0 में धान की खेती से कुल 104.90 लाख मैट्रिक टन चावल उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसी प्रकार से खरीफ 2019 में 4.245 लाख हे0 में मक्का की खेती से कुल 16.19 लाख मैट्रिक टन का उत्पादन, 0.32 लाख हे0 में मडुआ की खेती से कुल 0.32 लाख मैट्रिक टन का उत्पादन, 1.09 लाख हे0 में दलहन की खेती से कुल 1.32 लाख मे0 टन का उत्पादन एवं 0.467 लाख हे0 में तेलहन की खेती से 0.494 लाख मैट्रिक टन तेलहन उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। खरीफ मौसम में कुल खाद्यान्न एवं तेलहन के लिए निर्धारित उत्पादन के लक्ष्य की प्राप्ति हेतु विभाग द्वारा अपनी रणनीति के तहत खरीफ महाभियान चलाने का निर्णय लिया गया है।
राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए इस वर्ष 25,000 एकड़ में जैविक खेती के अंगीकरण एवं प्रमाणीकरण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। बक्सर से भागलपुर के बीच गंगा के किनारे कुल 12 जिलों में जैविक कोरिडोर को विस्तारित किया जा रहा है। साथ ही, भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नमामी गंगे स्वच्छता अभियान के अंतर्गत 5 जिलों भोजपुर, बक्सर, छपरा, वैशाली एवं पटना में 103 कलस्टर में जैविक खेती एवं उनके प्रमाणीकरण के कार्यक्रम हेतु लक्ष्य निर्धारित किया गया है। राष्ट्रीय राजमार्ग पटना से बिहार शरीफ, नवादा, गया, औरंगाबाद, रोहतास, कैमूर, बक्सर तथा भोजपुर में भी जैविक कोरिडोर को विस्तारित करने की योजना स्वीकृत की जा रही है। राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए पक्का वर्मी कम्पोस्ट के 50 हजार उत्पादन इकाई के निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है तथा 20 व्यावसायिक वर्मी कम्पोस्ट यूनिट तथा 1500 गोबर गैस इकाई के अधिष्ठापन हेतु वित्तीय व्यवस्था की गई है।
गर्मा मौसम में 80 प्रतिशत अनुदान पर गर्मा मूंग का वितरण कराया गया है। अनुदान पर गोबर गैस, जैव उर्वरक एवं वर्मी कम्पोस्ट के वितरण, फेरोमाॅन टैªप तथा जैव कीटनाशियों पर भी अनुदान दिया जा रहा है। राज्य में कृषि यंत्रों को बढ़ावा देने के लिए कुल 76 प्रकार के कृषि यंत्रों में 50 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है। वर्ष 2019-20 में 163 करोड़ की कृषि यांत्रिकरण की योजना स्वीकृत के लिए प्रक्रियाधीन है। भूमिहीन एवं छोटे जोत वाले किसानों को भाड़े पर कृषि यंत्रों की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए 10 लाख, 25 लाख एवं 40 लाख रूपये के कृषि यंत्र बैंक की स्थापना हेतु 40 से 80 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है। खरीफ मौसम में अतिवृष्टि, बाढ़ एवं सुखाड़ से निपटने के लिए आकस्मिक फसल योजना तैयार की गई है। सुखाड़ की स्थिति के मद्देनजर डीजल अनुदान की योजना स्वीकृत की जा रही है। किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से ऋण के लिए भारत सरकार द्वारा निर्धारित 4 प्रतिशत ब्याज में से 1 प्रतिशत ब्याज पर अनुदान विभाग द्वारा योजना स्वीकृत की जा रही है।
खरीफ मौसम में तनावरोधी स्वर्णा सब-1, सहभागी एवं सम्पदा धान प्रभेदों में बीज पर 80 प्रतिशत अनुदान पर कुल 25,000 क्ंिव0 बीज मिनी कीट के रूप मंे वितरित करने हेतु कुल 680 लाख रूपये की योजना का क्रियान्वयन किया जाना है। साथ ही, मडुआ तथा सांवा के बीज का क्रमशः 400 क्ंिव॰ तथा 5.50 क्ंिव॰ मिनी किट वितरण के रूप में राज्य के 10 जिलों में क्रियान्वयन किया जायेगा।
वर्ष 2019-20 में मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के अंतर्गत राज्य के सभी जिलों से पायलट परियोजना के रूप में प्रत्येक प्रखण्ड के एक गाँव के सभी होल्डिंग का मिट्टी नमूना जाँच कर मृदा स्वास्थ्य कार्ड तैयार किया जाना है एवं इसके आधार पर सभी चयनित ग्राम में संतुलित पोषण हेतु खरीफ 2019 में प्रत्यक्षण आयोजित किया जाना है।
खरीफ मौसम में राज्य में सभी 8,405 पंचायतों में किसान चैपाल लगाया जाएगा। इसमंे कृषि, पशुपालन, मत्स्यपालन एवं सहकारिता विभाग द्वारा संचालित कार्यक्रमों की जानकारी किसानों को उपलब्ध कराई जाएगी तथा किसानों से कृषि संबंधी विषयों पर सुझाव भी प्राप्त किये जायेंगे। किसानों के उत्पादों का लागत मूल्य कम करने, उनके उत्पादों का उचित मूल्य दिलाने एवं उनके विपणन संबंधी समस्याओं के समाधान हेतु राज्य के प्रत्येक प्रखंड में एक-एक कृषक उत्पादक संगठन का गठन किया जाएगा।