माननीय मंत्री, कृषि विभाग, बिहार डाॅ॰ प्रेम कुमार ने कहा कि हमारे खेतों में जो कीट पाये जाते हैं, उनमें अधिकत्तर कीट जो नजर आते हैं, वे मित्र कीट होते हंै। ये कीट फसल को नुकसान पहुचाने वाले कीट को खाकर अपना जीवन का चक्र पूरा करते हैं। मित्र कीट देखने में प्रायः रंगीन एवं फसलों पर भागते-दौड़ते नजर आते हैं। परन्तु ये कीट अत्यन्त कमजोर होते हैं और जैसे ही हम रासायनिक कीटनाशी का छिड़काव करते हैं, तो सबसे पहले मित्र कीट ही मरते हैं। वैसे भी, आप सभी जानते हैं कि जब फसल पुष्पण की अवस्था में हो तो किसी भी प्रकार का छिड़काव नहीं किया जाता है।
माननीय मंत्री ने कहा कि वत्र्तमान समय में दलहन फसल प्रायः फूल की अवस्था में है, ऐसी स्थिति में किसी भी प्रकार का रासायनिक दवाओं का छिड़काव नहीं करना चाहिए। कीटों से बचाव के लिए एलो ट्रैप, लाईट ट्रैप या फेरोमोन ट्रैप का व्यवहार काफी लाभदायक होगा। फेरोमोन ट्रैप लगाने से फलीछेदक कीट, जो हमारे दलहनी फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुचाते हैं, के नर कीट आसानी से ट्रैप के अंदर फंस जाते हंै। ऐसा करने से फलीछेदक कीट के नर-मादा कीट का मिलन नहीं हो पाता है, जिससे इनके अण्डे ही नहीं बनते हैं और इस प्रकार फसल क्षति होने से बच जाता है। एलो ट्रैप के फसल में लगाने से उड़ने वाले कीट उसकी ओर आकर्षित होकर ट्रैप में लगे गोंद से सट कर मर जाते हैं तथा लाईट ट्रैप खेतों में लगाने से कीट प्रकाश की तरह आकर्षित हो जाते हैं तथा अंत में मर जाते हंै।
डाॅ॰ कुमार ने कहा कि आवश्यकतानुसार जैव उत्पाद का भी छिड़काव कर फसल में लगने वाले कीट एवं व्याधि के प्रकोप से बचाया जा सकता है। साथ ही, वातावरण एवं जीवों पर पड़ने वाले रसायनों के कुप्रभाव से भी बचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि फसलों पर रासायनिक दवाओं का जितना कम व्यवहार होगा, उतना ही मित्र कीटों का संरक्षण होगा एवं हमारा वातावरण भी जहर से मुक्त होगा।