खेतों में फसल अवशेष को जलायें नहीं, उसका प्रबंधन करें -डाॅ॰ प्रेम कुमार

माननीय मंत्री, कृषि विभाग, बिहार डाॅ॰ प्रेम कुमार ने कहा कि रबी मौसम समाप्ति की ओर अग्रसर है। राज्य में दलहनी एवं तेलहनी फसलों की कटाई हो रही है तथा अगले कुछ दिनों में गेहूँ की कटनी शुरू होगी। उन्होंने कहा कि मजदूरों के अभाव में अधिकांश किसान भाई-बहन आज कल कम्बाईन हार्वेस्टर से फसलों की कटाई करते हैं, जिससे खेतों में फसल के तने का अधिकांश भाग रह जाता है। किसान भाई-बहन फसल अवषेष को खेतों में ही जला देते हैं, जिससे मिट्टी का तापमान बढ़ता है। इसके परिणामस्वरूप मिट्टी में उपलब्ध जैविक कार्बन जल कर नष्ट हो जाता है। इसके कारण मिट्टी की उर्वरा-शक्ति कम हो जाती है। साथ ही, मिट्टी का तापमान बढ़ने के कारण मिट्टी में उपलब्ध सूक्ष्म जीवाणु, केंचुआ आदि मर जाते हैं। इनके मिट्टी में रहने से ही मिट्टी जीवंत कहलाता है। फसल अवषेषों को जलाने से जमीन में उपलब्ध जरूरी पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं, मिट्टी में नाईट्रोजन की कमी हो जाती है, जिसके कारण फसलों का उत्पादन घटता है। इसके साथ ही, वायुमंडल में कार्बन डाईआॅक्साईड की मात्रा भी बढ़ती है, जिसके कारण वातावरण प्रदूषित होता है और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएँं उत्पन्न हो रही है। 
माननीय मंत्री ने कहा कि फसल की कटाई के उपरान्त खेतों में फसलों के अवशेष खँूटी, भूसा आदि को जलाना बहुत ही खतरनाक प्रवृत्ति है, ऐसा करने से खेत की मिट्टी के साथ-साथ पर्यावरण पर भी इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। साथ ही, खेत की मिट्टी खराब होती है एवं पर्यावरण भी प्रदूषित होता है। इस समस्या के समाधान के लिए तकनीकी एवं प्रबंधकीय कौशल की आवश्यकता को देखते हुए पिछले वर्ष बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर द्वारा ज्ञान भवन, पटना में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों से अनुभव साझा करने के लिए एक अतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया था। सरकार द्वारा बिहार कृषि विश्वविद्यालय को इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में फसल अवशेष प्रबंधन विषय पर विशेषज्ञों से प्राप्त सुझाव के आधार पर फसल अवशेषों से किसानों की आमदनी बढ़ाने हेतु कार्य करने के लिए अधिकृत किया गया है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय द्वारा इस विषय पर कार्य भी किया जा रहा है।
डाॅ॰ कुमार ने राज्य के किसान भाइयों एवं बहनों से अपील किया कि फसल अवशेषों को खेतों में न जलाकर उसे मिट्टी में मिला दें, वर्मी कम्पोस्ट बनायें अथवा पलवार विधि से खेती करंे। ऐसा करने से मिट्टी का स्वास्थ्य अच्छा होगा एवं पर्यावरण को भी प्रदूषित होने से बचाया जा सकेगा। इससे फसलों के उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि होगी और इस प्रकार किसानों की आमदनी बढ़ेगी।
 

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