माननीय मंत्री, कृषि विभाग, बिहार डाॅ॰ प्रेम कुमार ने कहा कि बिहार में बड़े पैमाने पर मशरूम का उत्पादन किया जा रहा है। राज्य के कई जिलों में किसान विशेषकर महिलाओं द्वारा मशरूम उत्पादन में बेहतर कार्य किया जा रहा है। बिहार राज्य बागवानी मिशन द्वारा मशरूम उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए योजना चलायी जा रही है। मशरूम की खेती में मशरूम बीज (स्पाॅन) एवं उच्च गुणवत्तायुक्त कम्पोस्ट की ससमय उपलब्धता एक समस्या रही है, जिसे दूर करने हेतु राज्य सरकार द्वारा राष्ट्रीय बागवानी मिशन एवं मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजनान्तर्गत परियोजना आधारित मशरूम स्पाॅन उत्पादन इकाई एवं मशरूम कम्पोस्ट उत्पादन इकाई के संस्थापन की योजनाएँ संचालित कराया जा रहा है, जिसमें राज्य सरकार द्वारा क्रेडिटलिंक्ड बैंक इण्डेड आधारित 50ः अनुदान उपलब्ध कराया जा रहा है, जिसका लाभ कोई भी ईच्छुक कृषक प्राप्त कर सकते हैं। मशरूम उत्पादन के लिए 20 लाख रूपये प्रति इकाई लागत पर 10 लाख रूपये सहायतानुदान दिया जा रहा है। मशरूम स्पाॅन उत्पादन के लिए 15 लाख रूपये प्रति इकाई लागत पर 7.50 लाख रूपये अनुदान दिया जा रहा है। इसी प्रकार, मशरूम कम्पोस्ट उत्पादन के लिए 20 लाख रूपये प्रति इकाई लागत पर 10 लाख रूपये सहायता दी जा रही है तथा 60 रूपये प्रति मशरूम किट पर 54 रूपये अनुदान दिया जा रहा है। वत्र्तमान में राज्य के विभिन्न जिलों में 13 मशरूम स्पाॅन यूनिट एवं उत्पादन यूनिट कार्यरत हैं।
माननीय मंत्री ने कहा कि मशरूम की खेती सालों भर बिना खेत के, घर के अन्दर या झोपड़ी में फसल अवशेष यथा भूसा/पुआल आदि का उपयोग कर सफलतापूर्वक किया जा सकता है। यह एक कम अवधि की फसल है, जिसकी खेती में कम लागत लगाकर अधिक मुनाफा प्राप्त किया जा सकता है। मशरूम उत्पादन पश्चात् खेती के बचे अवशेषों का उपयोग कम्पोस्ट एवं वर्मी कम्पोस्ट में कर ”आम के आम गुठली के दाम“ की कहावत को चरितार्थ किया जा सकता है। इसकी खेती भूमिहीनों, महिलाओं, श्रमिकों एवं समाज के कमजोर तबकों के बेरोजगारी की समस्या दूर करने हेतु वरदान है।
उन्होंने बताया कि बिहार की जलवायु विभिन्न प्रकार के मशरूम उत्पादन के लिए उपयुक्त है। ओयस्टर मशरूम की खेती 20°-35° सेंटीग्रेड पर, बटन मशरूम की खेती 15°-22° सेंटीग्रेड पर तथा वृहत्/स्वेत दूधिया की खेती 30°-38° सेंटीगेड तापमान पर की जा सकती है। इस प्रकार, बिहार में मशरूम की विभिन्न प्रजातियों की खेती सालों भर व्यावसायिक स्तर पर प्राकृतिक ढंग से कम लागत में आसानी से की जा सकती है। प्राप्त आँकड़ों के अनुसार वर्ष 2010 में बिहार में 400 टन बटन मशरूम एवं 80 टन ओयस्टर मशरूम का उत्पादन होता था, जो दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। ओयस्टर मशरूम का उत्पादन सामान्य पुआल की कुट्टी एवं गेहूँ भूसा का उपयोग किया जा सकता है, परंतु बटन मशरूम, श्वेत दूधिया मशरूम के व्यावसायिक उत्पादन हेतु एक विशेष प्रकार के कम्पोस्ट का निर्माण अति आवश्यक होता है। इसी प्रकार किसी भी फसल के गुणवत्तायुक्त उत्पादन प्राप्त करने में उच्च गुणवत्तायुक्त बीज की भी प्रमुख भूमिका होती है।
डाॅ॰ कुमार ने कहा कि किसान पौष्टिक तत्वों एवं औषधीय गुणों से भरपूर मशरूम एक विशेष प्रकार का कवक है। मशरूम में प्रचूर मात्रा में उच्च कोटि के प्रोटीन, कार्बाेहाईड्रेट, रेशा, विटामिन बी काॅम्प्लेक्स, विटामिन सी एवं डी की उपलब्धता के कारण यह महिलाओं एवं बच्चों के लिए काफी लाभदायक होता है। यह एक स्वास्थ्यवर्धक सुपाच्य खाद्य पदार्थ है, जिससे कुपोषण की समस्या को दूर किया जा सकता है। मधुमेह एवं यक्ष्मा मरीजों के लिए एक रामबाण खाद्य पदार्थ है। विभिन्न बीमारियों की दवा बनाने में मशरूम का उपयोग किया जाता है।