माननीय कृषि मंत्री ने किया ‘‘किसानों की बात, कृषि मंत्री के साथ’’ कार्यक्रम में किसानों से बात

माननीय मंत्री, कृषि विभाग, बिहार डाॅ॰ प्रेम कुमार द्वारा आज बामेती, पटना में ‘‘किसानों की बात, कृषि मंत्री के साथ’’ कार्यक्रम के माध्यम से राज्य के किसानों से बात किया गया। वर्Ÿामान परिप्रेक्ष्य में कृषि के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों एवं  कृषि से जन सरोकार के व्यापक विषयों पर किसानों को जागरुक करने एवं उनसेे सुझाव प्राप्त करने तथा विभागीय योजनाओं के कार्यान्वयन में किसानों की सहभागिता सुनिश्चित कराने के उद्देश्य से माननीय मंत्री द्वारा प्रत्येक माह में एक दिन किसी विशेष विषय पर इस विशेष कार्यक्रम ‘‘किसानों की बात, कृषि मंत्री के साथ’’ के माध्यम से किसानों से सीधी बात की जाती है। इस कार्यक्रम का शुभारम्भ दिसम्बर माह में किया गया था। आज इस कार्यक्रम का आयोजन सभी कृषि विज्ञान केन्द्रों में किया गया, जहाँ संबंधित जिलों के किसान उपस्थित थे। माननीय मंत्री द्वारा बामेती से टपकमव ब्वदमितमदबपदह ध् ब्सवनक के माध्यम से किसानों को संबोधित किया गया। राज्य के किसानों ने माननीय मंत्री से सीधे बात की। किसानों द्वारा बताई गई उनकी समस्याओं को माननीय मंत्री द्वारा संज्ञान में लिया गया एवं इस कार्यक्रम के उपरान्त समस्याओं के समाधान हेतु संबंधित पदाधिकारियों को निदेशित किया गया। आज के इस कार्यक्रम का विषय जल-जीवन-हरियाली था। 
इस अवसर पर माननीय मंत्री ने कहा कि कृषि विभाग द्वारा जल-जीवन-हरियाली कार्यक्रम का कार्यान्वयन राज्य के पर्यावरण को प्रदूषण से मुक्त करने तथा वातावरण को स्वच्छ एवं स्वस्थ बनाने के उद्देश्य से किया जा रहा है। कृषि विभाग के इस अभियान में खेत में जल संरक्षण से फसल, बागवानी एवं वानिकी विकास कार्यक्रम को सम्मिलित किया गया है। इस कार्यक्रम के तहत वर्षार्षित/कम पानी वाले क्षेत्रों के व्यक्तिगत किसान अथवा किसान समूह (कृषक उत्पादक संगठन/स्वयं सहायता समूह/किसान हित समूह आदि) को एक एकड़ खेत के लिए यथास्थान जल संरक्षण तथा समेकित कृषि प्रणाली जिसमें मुख्य रूप से बागवानी तथा वानिकी फसलें सम्मिलित होगी के लिए सहायता प्रदान किया जायेगा। इस वर्ष 60.00 करोड़ रूपये व्यय किया जाएगा, जिसमें 10,000 एकड़ में जल संरक्षण का कार्य हो सकेगा।
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन एक विश्वव्यापी समस्या है। जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम की अनियमितता सर्वविदित है। जलवायु परिवर्तन का असर पिछले कुछ वर्षो में स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होने लगा है। वर्षापात में कमी आयी है तथा माॅनसून का व्यवहार अत्यंत ही असामान्य हो गया है। इस परिस्थिति से निपटने के लिए जल-जीवन-हरियाली अभियान के अंतर्गत कृषि विभाग के द्वारा मौसम के अनुकूल कृषि कार्यक्रम तैयार किया गया है। इसके अधीन जलवायु के अनुकूल फसल तथा फसल प्रभेद के व्यवहार, लेजर लैण्ड लेवलिंग, हैप्पी सीडर, जीरो टिलेज, धान की सीधी बुआई, रेज-बेड प्लाटिंग, संरक्षित खेती, फसल अवशेष प्रबंधन/मल्चिंग तकनीक को कृषि विश्वविद्यालयों तथा अनुसंधान संस्थानों के माध्यम से प्रदर्शित किया जायेगा जिसे किसान देखकर सीख सकेंगे। खेत में जल संरक्षण से फसल, बागवानी एवं वानिकी विकास कार्यक्रम को सम्मिलित किया गया है। इसके लिए अनुदान की व्यवस्था की गई है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। 13 जिलों में जैविक कोरिडोर एवं अन्य जिलों में भी जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।
डाॅ॰ कुमार ने कहा कि इस योजना में जलवायु परिवर्तन से संबंधित अनुसंधान कार्य भी किये जायेंगे। प्रत्येक कृषि विज्ञान केन्द्र में 01 हेक्टेयर क्षेत्र को मौसम के अनुकूल कृषि कार्यक्रम के लिए दीर्घकाल हेतु कर्णांकित किये गये हैं। अगले 50 वर्षों तक इस क्षेत्र में पारम्परिक तरीके से खेत की जुताई नहीं की जायेगी। इसके स्थान पर संरक्षित खेती के तरीके अपनाये जायेंगे, जो पूरे देश के लिए मौसम के अनुकूल कृषि कार्यक्रम तैयार करने में मील का पत्थर साबित होगा।
इस अवसर पर निदेशक, पी॰पी॰एम॰ श्री गणेश कुमार, संयुक्त निदेशक (रसायन) श्री बैंकटेश नारायण सिंह, संयुक्त निदेशक (शष्य) डाॅ॰ ब्रजेश कुमार, संयुक्त निदेशक श्री जय प्रकाश नारायण, उप निदेशक (शष्य) श्री अनिल कुमार झा सहित 20 कृषि विज्ञान केन्द्रों से कृषि वैज्ञानिकगण एवं बड़ी संख्या में किसान भाई-बहन उपस्थित थे। 
 

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