राज्य में 4 नवसृजित कृषि विज्ञान केन्द्रों का शिलान्यास कार्यक्रम

आज माननीय केन्द्रीय मंत्री, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय श्री राधामोहन सिंह एवं माननीय मंत्री, कृषि विभाग, बिहार डाॅ॰ प्रेम कुमार द्वारा 4 नवसृजित कृषि विज्ञान केन्द्रों का शिलान्यास बामेती, पटना से किया गया। 

माननीय केन्द्रीय मंत्री, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय श्री राधामोहन सिंह ने अपने सम्बोधन में कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् अपनी 642 कृषि विज्ञान केन्द्रों में किसानों तक प्रसार कार्यक्रमों के माध्यम से नई-नई तकनीकों के प्रत्यक्षण, ग्रामीण युवाओं तथा कृषक प्रशिक्षण, कृषि संबधी सलाह आदि पहुँचाने का कार्य कर रहा है। भारत सरकार द्वारा देश के 109 जिलों में नई कृषि विज्ञान केन्द्र स्थापित किया जा रहा है। इन जिलों में 55 बड़ा जिले ऐसे हैं, जहाँ पूर्व से एक-एक कृषि विज्ञान केन्द्र कार्यरत है तथा 25 ऐसे जिले है, जिनमें 11वीं पंचवर्षीय योजना में कृषि विज्ञान केन्द्रों की स्थापना की सहमति दी गई थी, जिनकी स्थापना वर्तमान सरकार द्वारा किया जा रहा है। देश के 24 नवसृजित जिलों मे भी कृषि विज्ञान केन्द्रों की स्थापना की जा रही हे। इसके साथ ही, 5 ऐसे जिले, जो सीमांचल अथवा पहाड़ी जिले हंै, जैसे कि हिमाचल प्रदेश में लाहोल स्पीती, जम्मू कश्मीर में कारगिल एवं बारामूला, उत्तराखंड में पिथौरागढ़ तथा चमोली में भी एक अतिरिक्त कृषि विज्ञान केन्द्र की स्थापना की जा रही है।

माननीय कृषि मंत्री डाॅ॰ प्रेम कुमार ने अपने सम्बोधन में कहा कि आज राज्य के लिए गौरव का क्षण है कि हम अन्नदाता किसान भाई-बहनों के लिए राज्य में 4 नवसृजित कृषि विज्ञान केन्द्र का शिलान्यास कर रहे हंै। देश के सर्वाधिक लोकप्रिय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र भाई मोदी के नेतृत्व में किसानों की आय वर्ष 2022 तक दुगूनी करने के लिए राज्य के बड़े जिला हेतु एक अतिरिक्त कृषि विज्ञान केन्द्र की स्थापना का निर्णय लिया गया। राज्य में पूर्व से 38 कृषि विज्ञान केन्द्र कार्यरत हंै। 6 बड़े जिला गया, पूर्वी चम्पारण, पश्चिम चम्पारण, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर तथा मधुबनी में एक-एक अतिरिक्त कृषि विज्ञान केन्द्र की स्थापना की जा रही है। राज्य सरकार द्वारा सभी अतिरिक्त कृषि विज्ञान केन्द्र हेतु भूमि उपलब्ध करा दी गई है। 

उन्होंने कहा कि आज 4 नवसृजित कृषि विज्ञान केन्द्र पश्चिम चम्पारण, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर तथा मधुबनी का शिलान्यास माननीय केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री राधा मोहन सिंह जी के साथ करने का सौभाग्य मुझे मिला। यह सभी 4 नवसृजित कृषि विज्ञान केन्द्र डाॅ॰ राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर के अधीन कार्य करेंगे। उन्होंने कहा कि देश में स्थापित आई0सी0ए0आर0 तथा कृषि एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालयों तथा इनके अधीन कार्यरत कृषि, उद्यान, पशुपालन, गव्य, मत्स्य, कृषि अभियंत्रण महाविद्यालयों, अनुसंधान केन्द्रों एवं कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा दिन-प्रतिदिन नये-नये शोध हो रहे हैं। इनके शोध एवं कृषि की आधुनिकत्तम तकनीक को किसानों एवं प्रसार कर्मियों के बीच पहुँचाने की आवश्यकता है। एक अतिरिक्त कृषि विज्ञान केन्द्र की स्थापना से उस जिला के सभी प्रखण्डों में कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा विश्वविद्यालय द्वारा की गई शोध का किसानों के खेतों में विभिन्न प्रकार के प्रत्यक्षण आयोजित कर प्रसार किया जायेगा, जिससे अन्नदाता किसान भाई-बहन नई तकनीक अपनाकर फसल के उत्पादन तथा उत्पादकता में वृद्धि कर सकेंगे। साथ ही, उनकी आय में भी बढ़ोतरी होगी। 

डाॅ॰ कुमार ने कहा कि एक अतिरिक्त कृषि विज्ञान केन्द्र की स्थापना से बड़े जिला के सभी पंचायतों तक कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों की आधुनिकत्तम तकनीक अन्नदाता किसान भाई-बहनों तक पहुँच पायेगी। एक अतिरिक्त कृषि विज्ञान केन्द्र के कार्य संरचना में पूर्व की भाँति एक प्रोग्राम कोडीनेटर, 6 विषय-वस्तु विशेषज्ञ, एक कम्पयूटर प्रोग्रामर, एक प्रयोगशाला सहायक, एक फार्म मैनेजर, एक सहायक, एक टंकक, एक वाहन चालक तथा एक सहायता कर्मी यानि कुल 16 पद का सृजन होगा। उन्होंने बताया कि कृषि विज्ञान केन्द्र एवं आत्मा में बेहतर समन्वय से कृषि रोड मैप के उद्देष्यों को प्राप्त करने, 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने के माननीय प्रधानमंत्री के संकल्प तथा प्रत्येक भारतीय के थाल में बिहार का एक ब्यंजन पहुँचाने के माननीय मुख्यमंत्री के निष्चय को हम पूरा करने में हम सफल होंगे।

इस अवसर पर कृषि विभाग के प्रधान सचिव श्री सुधीर कुमार, कृषि निदेशक श्री आदेश तितरमारे, डाॅ॰ राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ॰ रमेश चन्द्र श्रीवास्तव, एवं निदेशक, प्रसार शिक्षा डाॅ॰ के॰एम॰ सिंह, बामेती के निदेशक डाॅ॰ जितेन्द्र प्रसाद सहित बड़ी संख्या में विभागीय एवं कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक, पदाधिकारी एवं कर्मचारीगण उपस्थित थे।


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