माननीय मंत्री, कृषि विभाग, बिहार डाॅ॰ प्रेम कुमार द्वारा ‘‘कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात को बढ़ावा’’ विषय पर बामेती, पटना के सभागार में आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन किया गया।
माननीय मंत्री, कृषि विभाग, बिहार ने इस कार्यशाला में अपने सम्बोधन में कहा कि बिहार राज्य में इस दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन एपीडा, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, नई दिल्ली, भारत सरकार द्वारा किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बिहार में संभावित प्रगतिशील किसानों के जैविक उत्पादों के निर्यातकों, उत्पादकों और व्यापारियों को बढावा देना, किसानों के आर्थिक स्थिति को सुदृढ करना एवं बिहार के प्रगतिशील किसानों को जैविक खेती तथा उसके प्रमाणीकरण के बारे में जानकारी देना है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम ;छच्व्च्द्ध भारत की जैविक उत्पादन/निर्यात हेतु एक अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त गुणवŸाा आश्वासन पद्धति है, जिसकी शुरूआत अक्टूबर, 2001 में भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा किया गया है, जो प्ैव्रू17011 आवश्यकताओं को पूरी करती है। इसके द्वारा स्थापित ब्मतजपलिपदह ठवकपमे ;ब्ठद्ध छच्व्च् के अधीन जैविक उत्पाद हेतु ैजंदकंतके निर्धारित है।
माननीय मंत्री ने कहा कि बिहार में जैविक खेती की अपार संभावनाएॅँ हैं। मिट्टी की स्वास्थ्य अच्छा होने तथा अच्छी वर्षा होने के कारण बिहार में लगभग हर फसल जैविक विधि से उपजाई जा सकती है तथा बडे़ पैमानों पर जैविक सब्जियों, दलहनी फसलों एवं मसालों का भी बिहार में जैविक उत्पादन संभव है। बिहार का रबी मक्का एवं सोयाबीन का बडे पैमानों पर यूरोपियन देशों में निर्यात करने की संभावनाएॅ हैं। राज्य के फलों में केला, लीची, अनानास, आम, मखाना एवं चाय के जैविक उत्पाद की निर्यात की अपार संभवानाएँ है। राज्य में लगभग 2.5 लाख हेक्टेयर में लगभग गन्ने की खेती होती है, जिससे जैविक गुड़ का उत्पादन किया जा सकता है। राज्य में कुल 56 लाख हेक्टेयर खेती योग्य रकवे का 50 प्रतिशत से ज्यादा रकवा असिंचित है, जिसे जैविक खेती में आसानी से बदला जा सकता है। बिहार ने जैविक खेती की दिशा में अपना कदम सुनिश्चित कर लिया है।
डाॅ॰ कुमार ने कहा कि राज्य में पटना से भागलपुर तक गंगा नदी के दोनों किनारे तथा पटना से नालंदा तक राष्ट्रीय उच्च मार्ग के किनारे बसे गाँवों को सम्मिलित करते हुए जैविक कोरीडोर की स्थापना की गई है, जिसमें 9 जिले पटना, नालंदा, वैशाली, समस्तीपुर, बेगूसराय, लखीसराय, खगडि़या, मुंगेर एवं भागलपुर शामिल है। इन जिलों में लगभग 1500 एकड़ रकबे में अंगीकृत एवं प्रमाणीकरण का कार्य किया जा रहा है। जैविक कोरीडोर में किसानों/कृषक समूहों को निःशुल्क प्रमाणीकरण की सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है, इन जिलों में लगभग 17 समूहों का गठन हो चुका है, जिसके अंतर्गत लगभग 1124 हेक्टेयर रकवा का पंजीकरण का कार्य हो चुका है। साथ ही केडिया को बिहार का प्रथम जैविक ग्राम घोषित किया गया है। एवं उसे ब्1 का प्रमाणपत्र भी सिक्किम राज्य आॅर्गेनिक प्रमाणीकरण एजेंसी के द्वारा दिया गया। बिहार के कृषि रोड मैप के अनुसार लगभग 2022 तक 25,000 हेक्टेयर रकवा का लक्ष्य जैविक खेती हेतु निर्धारित रखा गया है, जिसमें बसोका, पटना द्वारा भलीभाँति ढ़ंग से कार्य किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय द्वारा केन्द्रीय नई कृषि निर्यात नीति, 2018 में बिहार के मुजफ्फरपुर में उत्पादित लीची को शामिल किया गया है। इसके साथ ही बिहार राज्य में उत्पादित होने वाले विशिष्ट कृषि उत्पादों यथा- मखाना, हाजीपुर का मालभोग केला और सब्जी विशेषकर टमाटर, आलू आदि को सम्मिलित करने का भारत सरकार से अनुरोध किया गया है।
कृषि विभाग के प्रधान सचिव श्री सुधीर कुमार ने अपने सम्बोधन में कहा कि एक फरवरी, 2019 को केन्द्रीय अंतरिम बजट में घोषणा की गई कि 5 एकड़ से कम रकबा वाले किसानों को तीन किस्त में प्रधानमंत्री कृषि सम्मान निधि योजना का लाभ दिया जायेगा। इसी संबंध में आज एक वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग भारत सरकार द्वारा आयोजित की गई, जिसमें यह निर्णय लिया गया कि एक मार्च से पहले सीमांत एवं लघु किसान के खाते में प्रथम किस्त 2 हजार रूपये की राशि उनके खाते में हस्तांतरित किया जायेगा। उन्होंने कहा कि जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार की सोच स्पष्ट है कि जैविक कोरिडोर के 9 जिलों में जो भी किसान जैविक खेती करना चाहते हंै, उन सभी को इस योजना का लाभ दिया जायेगा। पहले वैसे किसान, जो पूर्व से ही जैविक खेती कर रहे हैं, उनको लाभान्वित किया जायेगा, ताकि उनसे प्रोत्साहित होकर अगल-बगल के किसान जैविक खेती को अपनायें। उन्होंने एपीडा के पदाधिकारी से बसोका को क्षेत्र निरीक्षण में यथासम्भव मदद करने को कहा।
इस अवसर पर एन॰ए॰बी॰, एपीडा के सलाहकार डाॅ॰ ए॰के॰ यादव, अपर निदेशक (शष्य) श्री डी॰पी॰ त्रिपाठी, राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र, मुजफ्फरपुर के निदेशक डाॅ॰ विशालनाथ, निदेशक, बसोका श्री अशोक प्रसाद, संयुक्त निदेशक (रसायन), कम्पोस्ट एवं बायोगैस श्री बैंकटेश नारायण सिंह, निदेशक, बामेती डाॅ॰ जितेन्द्र प्रसाद, संयुक्त निदेशक (रसायन), मिट्टी जाँच श्री राम प्रकाश सहनी, एपीडा, कोलकाता के सहायक महाप्रबंधक श्रीमती समिधा गुप्ता, बड़ी संख्या में जैविक उत्पाद के निर्यातक, जैविक उत्पादक किसान समूह, इनपुट डिलर्स आदि उपस्थित थे।