माननीय कृषि मंत्री, बिहार डाॅ॰ प्रेम कुमार ने कहा कि राज्य में बिहार राज्य उद्यानिक उत्पाद विकास योजना को कार्यान्वित किया जायेगा। प्रथम चरण में इस योजना का संचालन राज्य के रोहतास, अररिया, समस्तीपुर, पूर्वी चम्पारण, भोजपुर, शेखपुरा, बक्सर, नालन्दा एवं वैशाली 9 जिलों में किया जायेगा। इस योजना के तहत् रोहतास में टमाटर, अररिया, समस्तीपुर में हरी मिर्च, पूर्वी चम्पारण में लहसुन, भोजपुर में हरा मटर, शेखपुरा, बक्सर में प्याज, नालंदा में आलू और वैशाली में मधु उत्पादन को प्रोत्साहित किया जायेगा। इस योजना के संचालन के द्वितीय चरण में भागलपुर, दरभंगा, पटना, सहरसा में आम, पश्चिमी चम्पारण में हल्दी, किशनगंज में अनानास, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, शिवहर में लीची, कटिहार, खगडि़या में केला एवं कैमूर अमरूद की खेती को बढ़ावा दिया जायेगा। इनके अतिरिक्त गया, औरंगाबाद एवं अन्य जिलों में पपीता, आँवला, पान, जैविक सब्जी, गेन्दा, गुलदाउदी एवं धनिया फसल का प्रोजेक्ट फाईनेंशियल अब्सटेªक्ट एवं मशीनरीज डीटेल तैयार कर योजना का कार्यान्वयन कराया जायेगा।
उन्होंने कहा कि इस योजना की अवधि 5 सालों की होगी। प्रथम वर्ष में समूह के गठन के उपरांत सभी ढाँचागत सुविधा एवं मशीन आदि की संस्थापना हेतु राशि उपलब्ध करायी जायेगी। द्वितीय एवं तृतीय वर्ष में उत्तम कृषि क्रियाओं (जी॰ए॰पी॰), पैकेजिंग मैटेरियल एवं जी॰एच॰पी॰ हेतु ही राशि उपलब्ध करायी जायेगी। समूह के प्रस्ताव के आलोक में चतुर्थ एवं पंचम वर्ष में यथावश्यक मरम्मति एवं आकस्मिकता हेतु राशि उपलब्ध करायी जायेगी। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत् संबंधित जिलों के लिए चिन्हित फसलों के पूर्व से आच्छादित एवं उपलब्ध क्षेत्रों को क्लस्टर के रूप में चिन्हित किया जायेगा। एक क्लस्टर में 50 हेक्टेयर रकवा को सम्मिलित किया जायेगा। चिन्हित क्ल्स्टर में सम्म्लिित सभी कृषकों का एक समूह तैयार कर समूह का पंजीकरण कराया जायेगा एवं समूह के प्रत्येक सदस्यों को कार्यक्रम के तहत् अपनाये जाने वाले विभिन्न क्रिया-कलाप के लिए प्रशिक्षित कराया जायेगा। चिन्हित क्लस्टर को उत्तम कृषि क्रियाओं से लाभान्वित/आच्छादित कर उद्यानिक फसलों की गुणवत्ता में वृद्धि करायी जायेगी। प्रत्येक क्लस्टर को एक पैक हाऊस युनिट से लाभान्वित कर सुदृढ़ किया जायेगा, जहाँ उद्यानिक उत्पाद के कलेक्सन, वाशिंग, ग्रेंडिग आदि सुविधाएँ उपलब्ध करायी जायेगी। फ्रेश उत्पाद को नियंत्रित वातावरण पर एक निश्चित समय तक संरक्षित करने हेतु प्रत्येक क्लस्टर को एक सोलर बेस्ड कूल चैम्बर से सुसज्जित किया जायेगा। चिन्हित क्लस्टर के तहत् उत्पादित फल, सब्जी एवं मसाला में उत्तम स्वच्छ क्रियाएँ अपनाकर इसे विभिन्न मुख्य श्रेणियों में वर्गीकृत कराया जायेगा। वर्ग-1 एवं वर्ग-2 का उपयोग ताजे उत्पाद के रूप में विभिन्न मंडियों को उपलब्ध कराया जा सकेगा। वर्ग-3, वर्ग-4 का मूल्य सम्वर्द्धन कर बाजार के माँग के अनुरूप विभिन्न उत्पाद पल्प, जूस, जैम, जेली, स्क्वैश एवं फ्लेक्स, पाउडर इत्यादि तैयार कराया जायेगा एवं उद्यमियों को सीधे क्लस्टर से मार्केटिंग करने हेतु लिंक कराया जायेगा, जिससे शत-प्रतिशत उद्यानिक उत्पाद का सदुपयोग हो सके एवं कृषकों को उत्पाद का अधिक मूल्य प्राप्त हो सके। बाजार की माँग एवं विशिष्टियों के अनुरूप उत्पाद तैयार कराया जायेगा, ताकि बाजार में इन उत्पादों का व्यापक रूप से स्वीकार्यता प्राप्त हो सके।
डाॅ॰ कुमार ने कहा कि इस योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में उत्पादित उद्यानिक उत्पाद का शत-प्रतिशत बहुपयोग कर कृषकों की आय में वृद्धि करना, सामूहिक स्तर पर कृषि एवं कृषि उत्पादों के मूल्य संवर्धन को बढ़ावा देना, ग्रामीण बेरोजगार पुरूष एवं महिलायों के बीच स्वरोजगार उत्पन्न करना, ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार का सृजन का ग्रामीण आबादी का रोजगार हेतु शहरों में पलायन रोकना, कृषकों को उनके उद्यानिक उत्पाद का उचित मूल्य दिलाना, बाजार में पूर्व से उपलब्ध उद्यमियों के माँग के अनुरूप उत्पाद का मूल्य संवर्द्धन कर विभिन्न प्रकार के डिब्बा बंद उत्पाद तैयार कराना एवं इसे बाजार से जोड़ना तथा उद्यानिक उत्पाद के हार्वेस्टिंग एवं हैंडलिंग में स्वच्छता को बढ़ावा देना है।