वित्तीय वर्ष 2020-21 के बजट उपस्थापन के समय माननीय मंत्री कृषि का वक्तव्य

माननीय अध्यक्ष महोदय,
    सर्वप्रथम मैं भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र भाई मोदी के प्रति करोड़ों किसानों की तरफ से आभार व्यक्त करना चाहता हूँ कि देश में पहली बार सशक्त नेतृत्व-सबल किसान का सपना चरितार्थ हो रहा है। मैं माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के प्रति सम्मान और आभार प्रकट करना चाहता हूँ कि आपके कुशल निर्देशन में कृषि रोड मैप के माध्यम से राज्य के किसान उतरोत्तर प्रगति के पथ पर अग्रसर हैं।  कृषि रोड मैप कार्याक्रमों के कार्यान्वयन के फलस्वरूप वर्ष 2011-12 में चावल, वर्ष 2012-13 में गेंहूँ, वर्ष 2015-16 में मोटे अनाज (मक्का), वर्ष 2016-17 में मोटे अनाज (मक्का) तथा वर्ष 2017-18 में गेहूँ के उत्पादन एवं उत्पादकता में उल्लेखनीय उपलब्धि के लिए भारत सरकार द्वारा राज्य को कुल पाँच कृषि कर्मण पुरस्कार दिया गया है। 
अध्यक्ष महोदय,
    आजादी के बाद पूर्ववत्र्ती सरकारों द्वारा कृषि एवं किसानों के विकास के लिए योजनाबद्ध तरीके से कार्य नहीं किये जाने के कारण किसानों के हालात में जितना सुधार होना चाहिए था उतना हो नहीं पाया। महोदय इस अवसर पर मैं महान कवि दुष्यंत जी की एक पंक्ति उद्धृत करना चाहूंगा।

यह पीर हुई पर्वत सी, अब पिघलनी चाहिए ।
इस हिमालय से अब, कोई गंगा निकलनी चाहिए।।
महोदय,
    जब से केन्द्र में आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी की सरकार आई है किसानों के लिए ऐतिहासिक कार्य हो रहें है।
अध्यक्ष महोदय,
     वर्ष 2020-21 के केन्द्रीय बजट में कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्र के विकास के लिए समर्पित कई कदम उठाये गये हैं। कृषि उड़ान, किसान रेल एवं सूक्ष्म स्तर पर भंडारण की व्यवस्था, जिला स्तर पर विशेष फसल को बढ़ावा देने जैसी महत्वाकांक्षी योजनाओं के माध्यम से कृषि क्षेत्र को एक नयी ऊँचाई देने का काम किया गया है।
अध्यक्ष महोदय,
    केन्द्र के साथ कदम से कदम मिलाकर माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में राज्य की सरकार कृषि रोड मैप बनाकर किसानों एवं कृषि के विकास के लिए योजनावद्ध तरीके से कार्य कर रही है। कृषि रोड मैप की परिकल्पना अब साकार हो रही है। राज्य में कृषि के विकास में नये नये कृतिमान स्थापित हो रहे है। राज्य के युवाओं एवं बुद्धिजीवियों का कृषि के प्रति आर्कषण बढ़ रहा हैं। अब आई0आई0टी0, आई0आई0एम0 से पढ़े हुए नवयुवक लाखों करोड़ों की नौकरियाँ छोड़कर कृषि कार्य में संलग्न हो रहे है। बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ अब कृषि क्षेत्र में निवेश के लिए आगे आ रही है।
अध्यक्ष महोदय,
    कृषि रोड मैप की योजनाओं एवं हमारे अन्नदाता किसान भाई/बहनों की मेहनत के बदौलत राज्य में फसलों के उत्पादन एवं उत्पादकता में रिकाॅर्ड वृद्धि हुई है। परन्तु हम उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने की प्रक्रिया में प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के प्रति भी सचेत है।
अध्यक्ष महोदय,
    भारत में प्रथम हरित क्रांति की शुरूआत पंजाब, हरियाणा आदि राज्यों में हुई। वहां फसलों के उत्पादन में अत्यधिक वृद्धि तो हुई परन्तु विकास की इस दौड़ में प्रकृति प्रदत्त संसाधनों का ध्यान नहीं रखा गया। जिसका परिणाम आज हमारे सामने है। अंधाधुंध रसायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के व्यवहार से आज न केवल पंजाब की पूरी मिट्टी खराब हो गयी है। बल्कि इस प्रक्रिया से उपजायी गई प्रदूषित फसल उत्पादों के सेवन से उन राज्यों में कई गंभीर बिमारियां उत्पन्न हो रही है। इसलिए महोदय हमलोग पूरी तरह सचेत हंै। हमारी सरकार टिकाउ विकास के लिए प्रयासरत है। प्राकृतिक संसाधनों जैसे मिट्टी, जल तथा वायु को सुरक्षित एवं संरक्षित रखते हुए विकास की इवारत लिखी जा रही है, और हमारे इस प्रयास में केन्द्र सरकार का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है। हमलोग जैविक खेती की ओर बढ़ रहे है। जैविक खेती के साथ-साथ हम पानी को भी बचाने में जुटे हैं। महोदय आपको पता होगा कि कुल पानी की खपत का 90 प्रतिशत पानी का उपयोग फसलों की सिंचाई में होता है। इसलिए पानी बचाने की बड़ी जिम्मेवारी कृषि विभाग की भी है। इसलिए जहां हम एक ओर फसलों की सिंचाई के लिए वर्षा जल के अधिक से अधिक उपयोग को प्रोत्साहित कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर कम पानी में अधिक फसल उत्पादन की प्रक्रिया को प्रोत्साहित कर रहे हंै। इसके लिए ड्रीप एवं स्प्रीकंलर सिंचाई पर 90 प्रतिशत तक अनुदान का प्रावधान किया गया है। प्रत्यके खेत में वर्षा जल संचय हेतु संरचना निर्माण के लिए किसानों को अनुदान दिया जा रहा है ताकि वर्षा जल से ही फसलों की सिंचाई हो सके एवं भूगर्भीय जल को संरक्षित किया जा सके।
    महोदय, आज कृषि के समक्ष जलवायु परिवर्तन सबसे बड़ी समस्या के रूप में उभर रही है जलवायु परिवर्तन का परिणाम हमसब देख ही रहे हंै। अनियमित माॅनसून, कभी बाढ़, कभी सुखाड़, ओला वृष्टि, अति वृष्टि, बज्रपात जैसी प्राकृतिक आपदाएँ आये दिन देखने को मिल रही है। इससे कृषि के साथ-साथ पूरा मानव जीवन एवं हमारा पर्यावरण भी प्रभावित हो रहा है। हमारा फसल उत्पादन प्रभावित हो रहा है महोदय। सरकार इस दिशा में भी गंभीर प्रयास कर रही है। माननीय मुख्यमंत्री के कुशल दिशा निर्देशन में जल जीवन हरियाली की योजना कार्यान्वित की जा रही है इसके लिए 24524 करोड़ की राशि का प्रावधान किया गया है। इसी तरह जलवायु अनुकूल खेती के लिए भी कार्य किये जा रहे हैं।
    महोदय इन सभी समस्याओं के समाधान के लिए सरकार द्वारा किये जा रहे है परन्तु महोदय मेरा मानना है कि यह कार्य तभी सफल हो पायेगे जब इसमें व्यापक जनभागीदारी होगी। व्यापक जनभागीदारी के लिए जागरूकता जरूरी है। इसके लिए माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में बिहार में ऐतिहासिक मानव श्रृंखला का निर्माण किया गया है। स्कूल काॅलेजों में इसपर निरन्तर चर्चा करायी जा रही है। कृषि विभाग द्वारा राज्य के सभी 8,405 पंचायतों में किसान चैपाल लगाकर इसके लिए किसानों को जागरूक किया गया है। तो महोदय हमारी सरकार विकास के साथ-साथ आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित एवं अनुकूल माहौल तैयार करने में लगी हुई है। महोदय मौसम प्रतिकूल हो रहा है, परन्तु सरकार इस प्रतिकूल मौसम में भी बेहतर से बेहतर करने के लिए प्रतिबद्ध है।
आंधियों को जिद है जहां बिजलियां गिराने की ।
मुझे भी जिद है वहीं आशियां बसाने की ।।
अध्यक्ष महोदय,
    अपने बजट भाषण के प्रारंभ में मैं अपनी विभाग की कुछ महत्वपूर्ण कार्यक्रमों की जानकारी आपके माध्यम से सदन को संक्षेप में देना चाहूंगा। इसके बाद विस्तार से हरेक विषय पर चर्चा करूंगा। 
महोदय, 
ऽ    किसानों को बीज से लेकर बाजार तक हर जरुरी सुविधाएं उपलब्ध करायी जायेगी।
ऽ    नये एवं अधिक आमदनी देने वाले नगदी फसलों के उत्पादन को प्रोत्साहन दिया जायेगा - स्ट्राॅवेरी, डैªगन फ्रूट, शहजन आदि की खेती को बढ़ावा दिया जायेगा।
ऽ    बिहार के कृषि उत्पादों को देश से बाहर निर्यात हेतु आधुनिक सुविधाओं से युक्त एक्सपोर्ट पैक हाउस की स्थापना की जायेगी।
ऽ    नील गायों से फसलों की क्षति से बचाने हेतु व्यापक कार्य योजना बनाई जायेगी।
ऽ    उद्यानिक उत्पादों यथा फल, सब्जी आदि के ग्रेडिंग, शाॅटिंग, पैकेजिंग, प्रोसेसिंग, ब्राण्डींग एवं मार्केटिग के लिए छोटे-छोटे उद्योग की स्थापना हेतु 90 प्रतिशत अनुदान दिया जायेगा। इसके लिए 10 लाख रूपये तक के लागत वाली ईकाई के लिए 9 लाख रूपया सरकार द्वारा अनुदान दिया जायेगा।
ऽ    किसानों को फल-सब्जी आदि तोडने के उपरान्त खेतों से मंडियों तक या रेलवे स्टेशनों/एयरपोर्ट तक पहुँचाने हेतु रेफ्रिजरेटेड वैन/शीतलीकृत वाहन उपलब्ध कराया जायेगा ताकि परिवहन के दौरान उनकी गुणवत्ता बनी रहे।
ऽ    फल/सब्जियों के सुरक्षित भंडारण हेतु गांवों में सोलर कूल चैम्बर यानि मिनी कोल्ड स्टोरेज की स्थापना के लिए 50 प्रतिशत अनुदान दिया जायेगा।
ऽ    शहरों में घरो के छतों पर सब्जी उत्पादन हेतु रूफ टाॅप गार्डेनिंग की योजना को विस्तार दिया जायेगा।
ऽ    इस वर्ष से सभी किसानों को कृषि फिडर के माध्यम से सिंचाई एवं अन्य कृषि कार्य हेतु सस्ते दर पर बिजली उपलब्ध करायी जायेगी।
ऽ    किसानों के उत्पाद को सही समय पर उचित मूल्य दिलाने हेतु राज्य में अवस्थित कृषि उत्पादन बाजार समितियों का जीर्णोद्वार किया जायेगा। बाजार प्रांगणों में बिजली, पानी, शौचालय, सफाई, सुरक्षा, सडक, चाहरदिवारी आदि का निर्माण कराया जायेगा। बाजार मूल्य की जानकारी देने हेतु डिजिटल रेट डिस्प्ले बोर्ड लगाया जायेगा तथा एैप के माध्यम से किसानों को बाजार मूल्य की जानकारी उपलब्ध करायी जायेगी। 
ऽ    फलों एवं सब्जियों के बेहतर मार्केटिंग हेतु काॅम्फेड की तर्ज पर फेडरेशन बनाया जायेगा।
ऽ    कृषि, पशुपालन तथा मत्स्य की योजनाओं में अतिपिछड़ों को अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के समान अनुदान दिया जायेगा।
ऽ    राज्य मंे तैयार होने वाले कृषि यंत्रों पर 10 प्रतिशत अधिक अनुदान दिया जायेगा।
ऽ    समुहिक खेती को बढ़ावा देने हेतु पंचायत स्तर पर थ्प्ळध्थ्ैळ एवं प्रखंड स्तर पर थ्च्व् बनाया जायेगा तथा इसके लिए किसानों को आवश्यक सहायता उपलब्ध करायी जायेगी। विभाग की सभी योजनाओं में थ्च्व् को प्राथमिकता दी जायेगी।
ऽ    बीज अनाज एवं प्याज के भंडारण हेतु छोटे-छोटे गोदामों के निर्माण हेतु अनुदान दिया जायेगा।
ऽ    राष्ट्रीय कृषि कर्मण पुरस्कार में बिहार को प्राप्त 4 करोड़ की राशि से पटना में किसानों को ठहरने के लिए गेस्ट हाउस का निर्माण कराया जायेगा। जो किसान कृषि कार्य से राजधानी आयेंगे उनके ठहरने एवं खाने की व्यवस्था रहेगी।
ऽ    अभी तक राजनेता एवं अधिकारी विदेश भ्रमण पर जाते थे। लेकिन अब कृषि की आधुनीक तकनीक को देखने समझने के लिए किसानों को सरकारी खर्चे पर विदेश भेजा जायेगा।
ऽ    राज्य में पाँच नये कृषि महाविद्यालयों की स्थापना की जायेगी।
ऽ    जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य के किसानों का जैविक प्रमाणीकरण कार्य निःशुल्क किया जायेगा।
अध्यक्ष महोदय,
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी एवं बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी दोनों किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कृतसंकल्पित है। किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि विभाग कई स्तरों पर कार्य कर रहा है। हम किसानों की खेती का लागत मूल्य को कम करने का प्रयास कर रहे है, इसके लिए मिट्टी जाँच के आधार पर उर्वरकों का संतुलित उपयोग, बीजोपचार, कम पानी से खेती, आधुनिक कृषि यंत्रों का अपयोग आदि को बढ़ावा दिया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर कीट व्याधि से फसलों को हो रहे नुकसान से बचाने के लिए भी व्यापक कार्य योजना बनायी जा रही है।
महोदय,
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि प्रत्येक वर्ष कुल फसल उत्पादन का लगभग 10 से 15 प्रतिशत कीट व्याधियों के कारण नुकसान हो जाता है, जिससे किसानों की आमदनी पर प्रभाव पड़ता है। तो महोदय, हम इसके लिए भी प्रयासरत है। किसानों को हम आधुनिक तरीके से खेती के प्रबंधन का प्रशिक्षण भी दे रहे है।
अध्यक्ष महोदय,
    कृषि रोड मैप के तहत कृषि विकास योजनाओं के कार्यान्वयन में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से किसानों के आॅनलाईन पंजीकरण की व्यवस्था की गयी है। कृषि विभाग के वेबसाईट पर 1.24 करोड़ किसान पंजीकृत हो चुके हैं। 
अध्यक्ष महोदय,
    आॅनलाईन किसानों के पंजीकरण के बाद कृषि विभाग के द्वारा कृषि योजनाओं में अनुदान की राशि किसानों के आधार से जुड़े बैंक खातों में सीधे भेजी जा रही है। वर्ष 2019-20 में खरीफ 2019 में वर्षापात की कमी के कारण 5 लाख हेक्टेयर में धान की खेती नहीं हो सकी। राज्य के कुछ जिलों में बाढ़ से फसल क्षति हुई। सितम्बर माह में अत्यधिक वर्षापात से फसल प्रभावित हुआ। प्राकृतिक आपदा की इन परिस्थितियों में राज्य सरकार द्वारा किसानों की सहायता के लिए सिंचाई के लिए डीजल पर अनुदान की राशि 50 रू॰ प्रति लीटर से बढ़ाकर 60 रू॰ प्रति लीटर किया गया। वर्ष 2019-20 में 01 अप्रैल 2019 से अबतक 6.41 लाख किसानों को सिंचाई के लिए डीजल अनुदान मद में 88.45 करोड़ रू॰ भुगतान किया गया है। किसानों को आकस्मिक फसल का बीज मुफ्त उपलब्ध कराया गया। आपदा से प्रभावित किसानों की सहायता के लिए फसल इनपुट अनुदान दिया जा रहा है। आपदा से प्रभावित किसानों की सहायता के लिए कृषि इनपुट अनुदान मद में 12.52 लाख किसानों को 556 करोड़ रू॰ आधार से जुड़े बैंक खाते में भुगतान किया गया है। 
अध्यक्ष महोदय,
    भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के माध्यम से किसानों को आर्थिक सहायता उपलब्ध करायी जा रही है। इस योजना के तहत राज्य के 56 लाख किसानों केे बैंक खाते में 2745.82 करोड़ रू॰ भेजे गये हैं। 
अध्यक्ष महोदय,
    आधुनिक खेती का आधार बीज है। राज्य के किसानों को अधिक उपजशील प्रभेद के प्रमाणित बीज आसानी से उपलब्ध हो सकें इसके लिए राज्य सरकार द्वारा कई कदम उठाये गये हैं। वर्ष 2019-20 में पहली बार किसानों से बीज की मांग से लेकर बीज की आपूर्ति तक की आॅनलाईन व्यवस्था की शुरूआत रबी 2019-20 से की गयी है। इसके तहत किसान अपनी आवश्यकता के अनुसार बीज की आॅनलाईन मांग करते हैं। जिला कृषि पदाधिकारी बीज विक्रेता को आॅनलाईन बीज का आवंटन करते हैं। बिहार राज्य बीज निगम के द्वारा आपूर्ति आदेश आॅनलाईन दिये जा रहे हैं तथा ओ0टी0पी0 के माध्यम से किसानों को बीज की आपूर्ति अनुदानित दर पर सुनिश्चित की जा रही है। रबी 2019-20 में 648184 किसानों को 303699 क्विंटल गुणवत्ता वाले बीज इस व्यवस्था के तहत उपलब्ध कराये गये हैं। इस वर्ष किसानों के घर पर भी बीज की आपूर्ति की होम डिलिवरी व्यवस्था की शुरूआत बिहार राज्य बीज निगम के द्वारा की गयी है। इसके तहत इस रबी मौसम में बांका जिला में सफलतापूर्वक बीज की आपूर्ति की गयी है। गर्मा मौसम से इसे विस्तारित किया जायेगा। राज्य सरकार द्वारा बीज अनुदान की राशि बिहार राज्य बीज निगम को उपलब्ध करायी जा रही है। इस नयी व्यवस्था के फलस्वरूप राज्य के किसानों को काफी कम मूल्य पर उन्नत बीज की उपलब्धता सुनिश्चित हो पाया है।
    वर्ष 2020-21 में बीज उत्पादन से लेकर किसानों को सुगमतापूर्वक बीज आपूर्ति की सम्पूर्ण व्यवस्था को सुदृढ़ किया जायेगा। बीज अनुदान के प्रशासन में टेक्नोलाॅजी के प्रयोग से पारदर्शिता एवं जबाबदेही लायी जायेगी। कृषि प्रक्षेत्रों पर गुणवत्ता वाले बीज के उत्पादन को बढ़ावा दिया जायेगा। मुख्यमंत्री तीव्र बीज विस्तार योजना, बीज ग्राम योजना, बीज उत्पादन एवं प्रसंस्करण संबंधित आधारभूत संरचना के विकास, अनुदानित दर पर बीज उपलब्ध कराने की योजना एवं नेशनल मिशन आॅन सीड एण्ड प्लांटिंग मटेरियल के कार्यान्वयन पर विशेष बल दिया जायेगा।
अध्यक्ष महोदय,
        बिहार प्रमुख फल एवं सब्जी उत्पादक राज्य है। पूरे देश में सब्जी उत्पादन में हम तीसरे एवं फल के उत्पादन में छठे स्थान पर हैं। राज्य में बागवानी के विकास के लिए केन्द्र प्रायोजित मिशन आॅन इन्टीग्रेटेड डेवलपमेंट आॅफ ह्ाॅर्टिकल्चर के साथ-साथ मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना तथा बागवानी पर आधारित राज्य योजनाओं का कार्यान्वयन कर रहे हैं। इसके साथ ही बिहार राज्य उद्यानिक उत्पाद विकास योजना, घरों के छत पर बागवानी विकास की योजनाए पुराने पाॅली हाउस का जीर्णोद्धार योजना, सब्जी/मषाला उत्पादन एवं उत्पादकता वृद्धि हेतु तकनीकी हस्तक्षेप, शेडनेट के अन्दर पान की खेती, मखाना विकास योजना, सहजन की खेती को विस्तार देने की योजना के तहत किसानों को प्रशिक्षित किया जा रहा है तथा तकनीकी को अपनाने के लिए आर्थिक सहायता दी जा रही है। बागवानी फसलों के क्लस्टर विकसित किये जा रहे हैं। वर्ष 2019-20 में 23 जिलों के लिए 14 बागवानी फसल चिन्ह्ति किये गये हेैं तथा इन जिलों में फसल विशेष के विकास के लिए बिहार विशेष उद्यानिक फसल योजना शुरू की गयी है। हम किसानों को फार्मर प्रोड्यूसर कम्पनी में संगठित कर रहे हैं। फार्मर प्रोड्यूसर संगठन को उत्पादन के पश्चात उपज के उचित रख-रखाव, मूल्य संवर्धन, शाॅर्टिंग, ग्रेडिंग, पैकेजिंग तथा प्राइमरी प्रोसेसिंग के लिए आधारभूत संरचना निर्माण हेतु 90 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान किया गया है। 10 लाख की योजना में मात्र 1 लाख किसानों लगाना होगा शेष 9 लाख रूपया सरकार अनुदान के रूप में देगी। 
    बागवानी विकास योजनाओं के तहत वर्ष 2019-20 में 585 हेक्टेयर में आम, 24 हेक्टेयर में अमरूद, 98 हेक्टेयर में लीची, 1383 हेक्टेयर में टिशू कल्चर केला, 91 हेक्टेयर में पपीता, 11 हेक्टेयर में स्ट्राॅबेरी के नये बागान की स्थापना के लिए किसानों को प्रोत्साहन राशि प्रदान की गयी है। बागवानी विकास योजनाओं में इस वर्ष 70 हजार मधुमक्खी बक्से किसानों को दिये जाने का लक्ष्य रखा गया है। सुगंधित पौधों की खेती को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार किसानों को अनुदान दे रही है। राज्य में संरक्षित खेती को बढ़ावा देने के लिए इस वर्ष 40 हजार वर्गमीटर में शेडनेट तथा 40 हजार वर्गमीटर में पाॅली हाउस की स्थापना की जा रही है। राज्य में मखाना की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है। इस वर्ष 150 हेक्टेयर में मखाना की खेती के लिए किसानों को सहायता प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है। राज्य में मशरूम उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार किसानों को आर्थिक सहायता उपलब्ध करा रही है। ताजे फल एवं सब्जियों को इच्छित तापमान पर संरक्षित रखने हेतु सौर ऊर्जा से संचालित नयी तकनीकी युक्त पोर्टेबुल सोलर कोल्ड रूम की योजना ली गई है जिसकी इकाई लागत 13.00 लाख रूपये का 50 प्रतिशत अनुदान दी जा रही है। ड्रिप तथा स्प्रींक्लर सिंचाई को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राज्य सरकार ड्रिप सिंचाई पर 90 प्रतिशत तथा स्प्रींक्लर सिंचाई पर 75 प्रतिशत अनुदान किसानों को उपलब्ध करा रही है।
    वर्ष 2020-21 में उद्यानिकी फसलों के विकास के लिए केन्द्र प्रायोजित योजना के अतिरिक्त राज्य योजना का कार्यान्वयन किया जायेगा। किसानों को नये बागानों की स्थापना के लिए आर्थिक एवं तकनीकी सहायता उपलब्ध करायी जायेगी। क्लस्टर के आधार पर बागवानी फसलों के विकास पर बल दिया जायेगा।
अध्यक्ष महोदय
    मौसम बदल रहा है। बदलते मौसम के साथ खेती को बदलने की भी जरूरत हो गयी है। कृषि विभाग मौसम के अनुकूल कृषि कार्य के लिए किसानों को हरसंभव तकनीकी उपलब्ध करा रही है। जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत कृषि विभाग के द्वारा मौसम के अनुकूल कृषि कार्यक्रम की शुरूआत की गयी है। इस कार्यक्रम के प्रथम फेज में आठ जिलों के 40 गाँवों को सीधे कृषि वैज्ञानिकों के देख-रेख में माॅडल मौसम अनुकूल कृषि गाँव के रूप में विकसित किया जा रहा है। यह योजना गया, नवादा, नालंदा, भागलपुर, बांका, मुंगेर, खगड़िया एवं मधुबनी जिलों में कार्यान्वित की जा रही है। इस योजना का कार्यान्वयन डाॅ॰ राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, बाॅरलौग इन्सटीच्यूट आॅफ साउथ एशिया, पूसा एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, पूर्वी क्षेत्र, पटना के द्वारा किया जा रहा है। 
    मौसम के अनुकूल कृषि कार्यक्रम के महत्व को देखते हुये वर्ष 2020-21 के बजट में इस कार्यक्रम का विस्तार सभी जिलों में करने के लिए राशि का प्रावधान किया गया है। 
अध्यक्ष महोदय
    जल-जीवन-हरियाली अभियान के अधीन सिंचाई जल के संरक्षण तथा अधिकाधिक उपयोग के उद्देश्य से बूँद-बूँद सिंचाई (ड्रीप सिंचाई) को बढ़ावा देने के लिए ड्रीप सिंचाई की स्थापना के लिए राज्य सरकार 90 प्रतिशत अनुदान दे रही है। वर्ष 2020-21 में सूक्ष्म सिंचाई योजना के अधीन ड्रीप तथा माइक्रो स्प्रिंक्लर से सिंचाई के लिए गहन कार्यक्रम कार्यान्वित किये जायेंगे।
अध्यक्ष महोदय
    राज्य सरकार गंगा नदी की स्वच्छता एवं अविरलता के प्रति पूर्ण रूप से संकल्पित है। गंगा नदी के किनारे के जिलों को मिलाकर एक जैविक काॅरिडोर बनाया जा रहा है। जैविक काॅरिडोर में शामिल किसानों को जैविक खेती के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। राज्य सरकार जैविक खेती को अपनाने के लिए किसानों को 11500 रू॰ प्रति एकड़ अग्रिम अनुदान देगी। राज्य के 13 जिलों को मिलाकर जैविक काॅरिडोर की स्थापना के लिए 155 करोड़ रू॰ स्वीकृत किया गया हैं। भारत सरकार के द्वारा बिहार राज्य बीज एवं जैविक प्रमाणन एजेंसी को जैविक प्रमाणीकरण संस्था के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। बिहार राज्य बीज एवं जैविक प्रमाणन एजेंसी के द्वारा राज्य के किसानों का जैविक प्रमाणीकरण का कार्य निःशुल्क किया जायेगा। 
    वर्ष 2020-21 में 21000 एकड़ में जैविक प्रमाणीकरण का कार्य किया जायेगा।
अध्यक्ष महोदय
    विगत वर्षों में फसल अवशेष को जलाने से पर्यावरण का प्रदूषण का खतरा बढ़ गया है। फसल अवशेष के प्रबंधन के ज्वलंत विषय पर राज्य सरकार के द्वारा 14-15 अक्टूबर 2019 को अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। विद्यालय स्तर पर छात्रों को कृषि एवं पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए निबन्ध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है। विद्यालय के छात्रों को फसल अवशेष नहीं जलाने का संकल्प दिलाया गया। रेडियो जिंगल तथा कृषि प्रसार रथ के माध्यम से कृषि एवं पर्यावरण से संबंधित वैज्ञानिक जानकारी का ग्राम स्तर पर प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। फसल अवशेष प्रबंधन हेतु किसानों की सहायता के लिए इससे जुड़े कृषि मशीन पर किसानों को 80 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है। फसल अवशेष प्रबंधन के लिए मशरूम पालन से लेकर पशुपालन तक विभिन्न विकल्पों पर सरकार विचार कर रही है। 
    वर्ष 2020-21 में फसल अवशेष प्रबंधन के लिए किसानों को उपयुक्त प्रकार के कृषि यंत्रों पर अनुदान उपलब्ध कराया जायेगा ताकि किसान इन यंत्रों को सुविधा से अपना सकें।
अध्यक्ष महोदय,
    राज्य सरकार जल एवं मिट्टी के संरक्षण के लिए दृढ़संकल्पित है। वर्ष 2019-20 में मिट्टी एवं जल संरक्षण की राज्य योजना के तहत 2350 जल संचयन संरचना का निर्माण, गाद की सफाई आदि का कार्य किया गया एवं 485 हे0 में पौधा रोपण कार्य किया गया एवं 2916.21 हे॰ में सिंचाई की व्यवस्था सुनिष्चित की गयी है। पूर्वोत्तर भारत के लिए हरित क्रांति योजना अन्तर्गत कुल 680 सामुदायिक सिंचाई कूप, निजी बोरवेल एवं सामुदायिक बोरवेल की स्थापना की गयी है एवं 2347.50 हे॰ में अतिरिक्त सिंचाई की व्यवस्था की गयी है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना प्रतिबूॅंद अधिक फसल (अन्य अन्तःक्षेप) अंतर्गत 306.05 हे॰ क्षेत्र में अतिरिक्त सिंचाई क्षमता का सृजन  किया गया है। समेकित जलछाजन प्रबंधन कार्यक्रम उक्त अवधि तक 507 जल संचयन संरचना का निर्माण किया गया। इस योजना के अंतर्गत 2369.51 हे॰ क्षेत्र में अतिरिक्त सिंचाई क्षमता में वृ़िद्व की गयी है। 
    वित्तीय वर्ष 2020-21 में जलछाजन विकास योजनान्तर्गत 979 विभिन्न आकार के भूमि एवं जल संरक्षण से संबंधित संरचना का निर्माण/जीर्णोद्वार किया जायेगा, तथा 38974 हेक्टेयर में पौधा रोपण का कार्य किया जायेगा। राज्य योजना 2020-21 हेतु कुल 4249 भूमि एवं जल संरक्षण का निर्माण/जीर्णोद्वार तथा 997.44 हेक्टेयर में पौधा रोपण का कार्य किया जायेगा।
अध्यक्ष महोदय,
    आधुनिक कृषि तकनीक के प्रचार-प्रसार के लिए राज्य सरकार द्वारा कई कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। राज्य के 534 प्रखंडों में से 447 प्रखंड में ई-किसान भवन की स्थापना की गयी है। पंचायत स्तर पर कृषि कार्यालय स्थापित किया जा रहा है। वर्ष 2019-20 में सभी पंचायत स्तर पर रबी तथा खरीफ मौसम में किसान चैपाल लगाये गये। जिला स्तरीय आत्मा के द्वारा 97358 किसानों का प्रशिक्षण, 46123 किसानों को परिभ्रमण तथा 1986 प्रत्यक्षण, 712 किसान पाठशाला, 543 किसान गोष्ठी, 36 किसान वैज्ञानिक वार्तालाप का आयोजन किया गया। जिला स्तरीय आत्मा के द्वारा 350 कृषक उत्पादक संगठन, 1382 कृषक हितकारी समूह का गठन किया गया। 
    किसानों को सम्मानित करने के लिए एक विशेष कार्यक्रम की शुरूआत इस वर्ष से की गयी है जिसके तहत गेंहूँ, आलू, गोपालन एवं मत्स्यपालन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले किसानों को प्रखंड स्तर पर किसान श्री, जिला स्तर पर किसान गौरव एवं राज्य स्तर पर किसान श्रेष्ठ पुरस्कार देने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गयी है। 
    उर्वरक, बीज एवं कीटनाशी विक्रेताओं को कृषि तकनीकी जानकारी में प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से देशी कार्यक्रम का क्रियान्वयन किया जा रहा है। कृषि विभाग के द्वारा कृषि विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों एवं कृषि विज्ञान केन्द्रों के सक्रिय सहयोग से कौशल विकास मिशन के तहत ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसके तहत इस वर्ष 840 युवक/युवतियों को कौशल प्रशिक्षण दिया गया है। 
    वर्ष 2020-21 में कृषि रोड मैप के तहत किसानों को प्रशिक्षित करने के लिए किसान पाठशाला, किसान चैपाल, किसान परिभ्रमण तथा किसान प्रशिक्षण के कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे।
अध्यक्ष महोदय,
    कृषि रोड मैप के अंतर्गत नये प्रकार के कृषि यंत्रों को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2019-20 में 163.513 करोड़ की योजना स्वीकृत की गयी। 81 प्रकार के कृषि यंत्रों पर राज्य सरकार किसानों को 40 प्रतिशत से लेकर 80 प्रतिशत तक अनुदान दे रही है। इस योजना के तहत फसल अवशेष प्रबंधन से जुड़े कृषि यंत्रों को प्राथमिकता की श्रेणी में रखा गया है तथा हैप्पी सीडर, स्ट्रा बेलर, रोटरी मल्चर, स्ट्रा रीपर, सुपर सीडर एवं स्ट्राॅ मैनेजमेन्ट सिस्टम पर सामान्य श्रेणी के किसानों को 75 प्रतिशत तथा अत्यंत पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के किसानों को 80 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। इस योजना के तहत अब तक 1.48 लाख से अधिक किसानों से नये यंत्र के लिए आवेदन प्राप्त हुये हैं। कृषि विभाग द्वारा राज्य स्तर से लेकर अनुमण्डल स्तर तक कृषि मेला का आयोजन किया जा रहा है।
    राज्य के कृषि यंत्र निर्माताओं को गुणवत्तायुक्त आधुनिक कृषि यंत्रों के निर्माण हेतु प्रोत्साहित करने तथा कृषि यंत्र निर्माण के क्षेत्र में राज्य को आत्मनिर्भर बनाने के लिए बिहार राज्य के कृषि यंत्र निर्माताओं द्वारा निर्मित कृषि यंत्रों पर किसानों को 10 प्रतिशत अधिक अनुदान का प्रावधान किया गया है। राज्य के कृषि यंत्र निर्माताओं द्वारा निर्मित कृषि यंत्रों के परीक्षण में लगने वाले शुल्क की शत-प्रतिशत राशि की प्रतिपूर्ति करने का प्रावधान किया गया है। 
    राज्य योजना के अतिरिक्त भारत सरकार द्वारा संचालित योजना सब मिशन आॅन एग्रीकल्चरल मेकेनाईजेशन योजना के माध्यम से कस्टम हायरिंग केन्द्र की स्थापना की जा रही है। इस योजना के अन्तर्गत 10.00 लाख, 25.00 लाख एवं 40.00 लाख तक की लागत से कस्टम हायरिंग हेतु कृषि यंत्र बैंक तथा 80.00 लाख रूपये की लागत वाले दो हाईटेक हब की स्थापना का लक्ष्य है। उक्त सभी कृषि यंत्र बैंक/हाईटेक हब की स्थापना पर 40 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान है। इसके अलावा चयनित ग्रामों में 10.00 लाख रूपये तक की लागत से कृषि यंत्र बैंकों की स्थापना की जानी है, जिसमें 80 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान है। इस योजना में जीविका समूह को शामिल किया गया है, जिसके फलस्वरूप राज्य में अबतक कुल 106 कृषि यंत्र बैंको की स्थापना की जा चुकी है। 
    सब मिशन आॅन एग्रीकल्चरल मेकेनाईजेशन योजना अन्तर्गत ही भारत सरकार द्वारा वत्र्तमान वित्तीय वर्ष 2019-20 में कृषि कल्याण अभियान फेज-प्प् के तहत् बिहार में चयनित 13 आकांक्षी जिलों यथा-अररिया, औरंगाबाद, बाँका, बेगूसराय, गया, जमुई, कटिहार, खगड़िया, मुजफ्फरपुर, नवादा, पूर्णियाँ, शेखपुरा एवं सीतामढ़ी के चयनित 25-25 आकांक्षी ग्रामों के प्रत्येक ग्राम में 10-20 कृषि यंत्रों/उपकरणों को अनुदानित दर पर उपलब्ध कराने हेतु 916.65 लाख रू0 की लागत से योजना का कार्यान्वयन किया जा रहा है। 
    वित्तीय वर्ष 2020-21 में कृषि यांत्रिकरण को बढ़ावा देने के लिए राज्य योजना के अतिरिक्त सब मिशन आॅन एग्रीकल्चरल मेकेनाईजेशन योजना के कार्यान्वयन पर विशेष बल दिया जायेगा। कृषि यांत्रिकरण योजना के माध्यम से फसल अवशेष के बेहतर प्रबंधन को सुनिश्चित किया जायेगा।
अध्यक्ष महोदय,
    कृषि रोड मैप के तहत सतत एवं टिकाऊ खेती हेतु राज्य के 38 जिलों में जिलास्तरीय मिट्टी जाँच प्रयोगषालाओं एवं प्रत्येक प्रमंडल में एक-एक अर्थात कुल 09 चलंत मिट्टी जाँच प्रयोगषाला के अतिरिक्त कृषि विज्ञान केन्द्र के स्तर पर मिट्टी जाँच प्रयोगशाला कार्यरत हैं। इन राजकीय मिट्टी जाँच प्रयोगशालाओं में किसानों के खेत से संग्रहित मिट्टी के नमूनों की निःशुल्क जाँच की जा रही है तथा मिट्टी जाँच के आधार पर कृषकों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराया जा रहा है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना वर्ष 2015 से चलायी जा रही है। प्रथम चक्र (अप्रैल 2015 से मार्च 2017) के लक्ष्य 13,08,778 के विरूद्ध शत प्रतिशत मिट्टी नमूना संकलन एवं विश्लेषण किया गया एवं कुल 66 लाख मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को उपलब्ध कराया गया है। द्वितीय चक्र वर्ष 2017-19 में 13,08,778 नमूना संग्रहण एवं विश्लेषण का लक्ष्य है। लक्ष्य के विरूद्ध कुल 11,50,356 नमूनों का संग्रहण एवं विश्लेषण किया जा चुका है तथा कुल 60,27,738 मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को वितरित किया जा चुका है।  भारत सरकार द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देश के अनुरूप वित्तीय वर्ष 2019-20 से मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना का क्रियान्वयन नये स्वरूप में किया जा रहा है। इस योजना अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2019-20 में राज्य के सभी जिलों के प्रत्येक प्रखंड के एक ग्राम के सभी फार्म होल्डिंग का मिट्टी नमूना संग्रह कर जाँचोपरान्त मृदा स्वास्थ्य कार्ड तैयार किया जा रहा है। इस योजना के तहत इस वर्ष कुल 1,60,477 नमूना संग्रहण एवं विश्लेषण का लक्ष्य है। लक्ष्य के विरूद्ध कुल 1,05,000 नमूनों का संग्रहण एवं 73,100 नमूनों का विश्लेषण किया जा चुका है तथा कुल 45,697 मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों के बीच वितरित किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त ग्राम स्तरीय मिट्ठी जाँच प्रयोगशाला परियोजना भी चलायी जा रही है। इस योजना अंतर्गत चयनित गाँवों में कुल 28 ग्राम स्तरीय मिट्टी जाँच प्रयोगषाला परियोजना की स्वीकृति दी गई है। इसके अंतर्गत 5 लाख की लागत पर ग्राम स्तर पर स्वरोजगार के उद्देष्य से ग्राम स्तरीय मिट्टी जाँच प्रयोगषाला (मिनी लैब) की स्थापना की जानी है जि

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