माननीय मंत्री, कृषि विभाग, बिहार डाॅ॰ प्रेम कुमार ने कहा कि सरकार द्वारा राज्य स्कीम मद से ‘‘जल-जीवन-हरियाली अभियान’’ के अंतर्गत खेतों में जल संचयन एवं कृषि प्रबंधन की योजना के कार्यान्वयन की स्वीकृति प्रदान की गई है। साथ ही, चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 में कुल 60 करोड़ रूपये की निकासी एवं व्यय की स्वीकृति प्रदान की गई है।
माननीय मंत्री ने कहा कि इस वर्ष राज्य के सभी 38 जिलों में जल-जीवन-हरियाली योजना के अंतर्गत खेत का पानी खेत में संरक्षित करने एवं समेकित कृषि के लिए कृषि निदेशालय, उद्यान निदेशालय एवं भूमि संरक्षण निदेशालय द्वारा समेकित रूप से योजना के अंतर्गत लिये जाने वाले कार्यमदों का कार्यान्वयन कराया जायेगा। उन्होंने कहा कि इस योजना का कार्यान्वयन पदाधिकारी जिला कृषि पदाधिकारी हांेगे, जिन्हें भूमि संरक्षण निदेशालय एवं उद्यान निदेशालय के पदाधिकारियों द्वारा तकनीकी सहयोग प्रदान किया जायेगा।
उन्होंने कहा कि यह योजना एक एकड़ खेत को एक इकाई मानकर कार्यान्वित की जायेगी, जिसमें जल संचयन के चिह्नित 5 माॅडलों में से किसानों द्वारा अपनी इच्छा से किसी एक माॅडल पर कार्य कराया जा सकेगा तथा शेष भूमि में शष्य/उद्यानिक फसल, फलदार वृक्ष, कृषि वानिकी एवं बायो-फेसिंग के रकवा का निर्धारण करने के लिए स्वतंत्र होंगे, जिसके लिए आच्छादित रकवा के अनुसार समानुपातिक अनुदान देय होगा। 5 हेक्टेयर से ज्यादा में मात्र मेड़बंदी की योजना कार्यान्वयन समूह में कराया जायेगा। इस योजना के अंतर्गत सभी श्रेणी के कार्यमदों में अनुदान वास्तविक आच्छादन की सीमा के अंतर्गत होगा, जिसकी अधिकत्तम सीमा प्रति इकाई के लिए 75,500 रूपये तक होगी। एक किसान को अधिकत्तम एक एकड़ के लिए ही अनुदान देय होगा। अनुदान की राशि का भुगतान लाभार्थियों को बैंक लिंक्ड खाते में अंतरित किया जायेगा। एक एकड़ के लिए समूह की स्थिति में जल-संचयन की योजना का लाभ उस भू-धारी किसान को दिया जायेगा, जिनकी खेत में वह अवस्थित होगा, शेष किसानों को प्रोराटा आधार पर अनुदान का भुगतान किया जायेगा। यह योजना वर्ष 2019-20 में 10 हजार एकड़ के लिए निर्धारित की गई है। योजना में किसान माॅडल का चयन करने में स्वतंत्र होंगे। इस योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को कृषि विभाग के पोर्टल पर पंजीकृत होना अनिवार्य है।
डाॅ॰ कुमार ने कहा कि इस योजना के कार्यान्वयन से किसानों के फसलों के सिंचाई करने में सुविधा होगी तथा भू-जल स्तर में सुधार होगा। इससे फसल के उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि होगी एवं किसानों की आमदनी बढ़ेगी।