माननीय मंत्री, कृषि विभाग, बिहार डाॅ॰ प्रेम कुमार ने कहा कि आम के पेड़ों में मंजर आना शुरू हो गया है। अब समय आ गया है कि आम के मंजरों की देख-भाल ठीक ढंग से किया जाय। उन्होंने कहा कि कभी-कभी ऐसा देखा जाता है कि भरपूर मंजर आने के बावजूद आम के मंजरों की सुरक्षा नहीं हो पाने के कारण फलन बहुत कम हो जाता है या कभी-कभी नहीं हो पाता है। आम के मंजरों पर मुख्य रूप से मधुआ कीट, दहिया कीट, मृदरोमिल (पाउडरी मिल्ड्यु) आदि जैसी कीट-व्याधियों का आक्रमण होता है। इससे आम के मंजरों की सुरक्षा के लिए अनुशंसित दवाओं का तीन छिड़काव सही समय पर करने से इन कीट-व्याधियों पर नियंत्रण किया जा सकता है, जिससे आम का अच्छा उत्पादन प्राप्त होगा।
माननीय मंत्री ने कहा कि आम में पहला छिड़काव मंजर निकलने के पहले किसी एक अनुशंसित कीटनाशी से किया जाता है, जिसे किसान पेड़ को धोना कहते हैं। पहला छिड़काव इस तरह करना चाहिए कि कीटनाशी पेड़ की छाल के दरारों में छुपे मधुआ कीट तक दवा पहुँचे। क्योंकि वायुमंडल का तापमान बढ़ने के साथ-साथ इसकी संख्या में वृद्धि होने लगती है। आम के मंजरों पर दूसरा छिड़काव सरसों के बराबर दाना लग जाने पर कीटनाशी के साथ-साथ किसी एक फफंूदनाशी को मिलाने की अनुशंसा है, जो मंजर को पाउडरी मिल्ड्यू आदि रोग से बचाता है तथा आम के टिकोले को गिरने से रोकता है। आम के टिकोले मटर के दाने के बराबर हो जाने पर तीसरा छिड़काव किया जाना चाहिए।
डाॅ॰ कुमार ने कहा कि पौधा संरक्षण संभाग के पदाधिकारियों एवं कर्मचारियों को निदेश दिया कि वे सतत् अपने क्षेत्र का भ्रमण करते रहें तथा किसानों से संपर्क कर उन्हें अपने आम के फसलों सहित अन्य फसलों की सुरक्षा हेतु आवश्यक सुझाव समय पर दें ताकि वे अपनी फसलों पर लगने वाले विभिन्न कीट एवं व्याधियों से फसलों को सुरक्षित रख पायें। उन्होंने किसानों से अपील किया कि विशेष सेवा एवं सुविधा के लिए अपने नजदीक के पौधा संरक्षण केन्द्र या कृषि समन्वयक या कृषि विज्ञान केन्द्र अथवा सहायक निदेशक, पौधा संरक्षण या जिला कृषि कार्यालय से सम्पर्क कर सकते हैं।