माननीय मंत्री, कृषि विभाग, बिहार डाॅ॰ प्रेम कुमार ने कहा कि सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2019-20 में राज्य योजना के अंतर्गत रबी फसलों में फाॅल आर्मी वर्म पर नियंत्रण करने हेतु 1441.141 लाख रूपये की योजना को स्वीकृति प्रदान की गई है। उन्होंने कहा कि यह योजना बिहार के 22 जिलों सारण, गोपालगंज, सीतामढ़ी, नालंदा, वैशाली, शेखपुरा, बेगूसराय, खगड़िया, भागलपुर, सुपौल, अररिया, सिवान, मुजफ्फरपुर, शिवहर, गया, समस्तीपुर, मुंगेर, जमुई, बाँका, सहरसा, पूर्णियाँ एवं कटिहार में कार्यान्वित किया जायेगा।
उन्होंने कहा कि मक्का उत्पादन के क्षेत्र में बिहार भारत का सबसे अग्रणी राज्य है, यहाँ मक्का का उत्पादन सबसे अधिक होता है। इस योजना के कार्यान्वयन से इन जिलों में मक्का फसल में फाॅल आर्मी वर्म पर नियंत्रण हो पायेगा। इस योजना के अंतर्गत इन जिलों के किसानों को यांत्रिक एवं जैविक कीटनाशी/सामग्रियाँ अनुदानित दर पर दी जायेगी। फाॅल आर्मी वर्म का नये क्षेत्रों में भी प्रकोप होने पर रासायनिक कीटनाशी के मूल्य का 50 प्रतिशत अधिकत्तम 570 रूपये प्रति एकड़ की दर से अनुदान दिया जायेगा। जिला स्तर पर आवश्यकतानुसार सहायक निदेशक, पौधा संरक्षण के द्वारा किसानों को रासायनिक कीटनाशी अनुदान पर उपलब्ध कराया जायेगा। इस योजना का कार्यान्वयन 20 एकड़ के कलस्टर में किया जायेगा।
माननीय मंत्री ने कहा कि कृषि विभाग द्वारा फाॅल आर्मी वर्म पर नियंत्रण करने हेतु किसान भाइयों एवं बहनों के लिए एडवाईजरी भी जारी किया गया है। फाॅल आर्मी वर्म से बचाव हेतु प्रति एकड़ 5 फेरोमोन ट्रैप लगाने की अनुशंसा कृषि वैज्ञानिकों द्वारा की गई है। फेरोमोन ट्रैप एक कीप आकार का नर कीट फँसाने वाला यंत्र है। फेरोमोन ट्रैप के ल्योर के माध्यम से कीटों को प्रभावी रूप से नियंत्रित किया जा सकता है। जैविक खेती के लिए फेरोमोन ट्रैप का उपयोग आवश्यक है। फेरोमोन ट्रैप कीट नियंत्रण का एक सशक्त उपकरण है। इसके उपयोग से नर कीटों की संख्या कम होने के कारण हानिकारक कीटों जैसे फाॅल आर्मी वर्म के वत्र्तमान एवं अगली पीढ़ी की कीटों को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके प्रयोग से रासायनिक कीटनाशियों के प्रयोग में 40 से 60 प्रतिशत की कमी आती है, जिसकी वजह से पर्यावरण, जल एवं मिट्टी में मौजूद अवयवों की सुरक्षा होती है।
डाॅ॰ कुमार ने कहा कि फाॅल आर्मी वर्म का फैलाव काफी तेजी से होता है। बिहार के अधिकतर जिलों में रबी मक्का में इसका प्रकोप बहुत तेजी से बढ़ते हुए देखा गया है। इस कीट का फैलाव रातों-रात 100 किलोमीटर तक होता है।यह मक्का के अलावे अन्य फसलों को भी क्षति पहुँचाता है, परन्तु इस कीट का सबसे पसंदीदा भोजन मक्का फसल ही होता है। इस योजना के कार्यान्वन से इस पर नियंत्रण किया जा सकेगा।