जलाशयों के जमाबन्दी के लिए नियामवली को अंतिम रूप देने के लिए मत्स्य पालकों का प्राप्त किया गया सुझाव

माननीय मंत्री, कृषि विभाग-सह-पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, बिहार डाॅ॰ प्रेम कुमार ने कहा कि अध्यक्षता में बामेती, पटना में बिहार में जलकरों की बन्दोवस्ती हेतु बिहार जलकर प्रबंधन अधिनियम 200़6 से प्रभावी है, इसमें 2007, 2010 एवं 2018 में संशोधन भी किये गये है। परन्तु इसके लिए अभी तक नियमावली नहीं बन पाई थी। जिसके कारण मछुआरों को काफी परेशानी हो रही थी। वत्र्तमान में बिहार जलकर प्रबंधन नियमावली प्रारूप बनाई गई है जिसे अंतिम रूप दिया जा रहा है और आज नियमावली को अंतिम रूप देने से पहले इसपर राज्य के मत्स्यपालकों से सुझाव लिया जा रहा है ताकि एक सफल एवं प्रभावी नियमावली बन सके। आज इसी से संबंधित एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई है जिसमें बिहार राज्य के मत्स्यपालक समाज से जुडे़ जनप्रतिनिधिगण एवं प्रबुद्धजनों को सुझाव देने हेतु आमंत्रित किया गया है। इन सभी से प्राप्त सुझावों को आवश्यक विचारोपरांत नियमावली में सम्मिलित किया जाएगा।
    माननीय मंत्री ने अपने सम्बोधन में कहा कि केन्द्र एवं राज्य की सरकार किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कृत्संकल्पित है। इसके लिए फसल उत्पादन के साथ साथ मत्स्यपालन, पशुपालन, गौपालन आदि को बढ़ावा दिया जा रहा है। केन्द्र की सरकार ने पशुपालन एवं मत्स्यपालन के लिए अलग से मंत्रालय बनाया है। वहीं बिहार में माननीय मुख्यमंत्री के दिशा निर्देश में कृषि रोड मैप बनाकर कार्य किया जा रहा है। कृषि रोड मैप में मत्स्यपालन को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। कृषि रोड मैप की योजनाओं एवं राज्य के मछुआरों का ही योगदान है कि बिहार में मत्स्य उत्पादन में लगातार रिकाॅर्ड वृद्धि हो रही है। राज्य में गतवर्ष 6.02 लाख मे0 टन मत्स्य उत्पादन हुआ है। जबकि वार्षिक मांग 6.42 लाख मे0 टन है। वत्र्तमान में मात्र 40 हजार मे0 टन का गैप है। इसे शीघ्र ही पूरा कर लिया जायेगा। पहले बिहार में अन्य राज्यों से मछली आता था लेकिन अब स्थिति बदल गई है। अन्य राज्यों पर निर्भरता कम हुई। अब बिहार से भी मछली अन्य राज्यों में जा रही है। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि राज्य के मछुआरों को हर संभव सहायता प्रदान की जाय। अभी मत्स्य बीज बाहर से लाना पड़ता है। हमार प्रयास है कि राज्य मत्स्य बीज के क्षेत्र मंे आत्मनिर्भर हो। इसके लिए राज्य में मत्स्य बीज उत्पादन को बढ़ावा दिया जायेगा।
डाॅ॰ कुमार ने आगे कहा कि राज्य में मत्स्यपालन को बढ़ावा देने के लिए नवीनत्तम तकनीकों के साथ मत्स्य पालकों नये तालाबों का निर्माण, नये/पुराने सभी तालाबों का जी॰पी॰एस॰ मैपींग कराया जा रहा है, रियरिंग तालाब का निर्माण, आर्द्र भूमि का विकास, मत्स्य हैचरी का निर्माण, मत्स्य बीज वितरण योजना, अतिपिछड़ा जाति और अनुसूचित जाति/जनजाति के मछुआरों के लिए मत्स्य विपणन योजना, राज्य में मछुआरों को स्वरोजगार उपलब्ध कराने हेतु 2 व्हीलर, 3 व्हीलर एवं 4 व्हीलर 90 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध कराया जा रहा है इसे अगले वर्ष और भी बड़े पैमाने पर उपलब्ध कराया जाएगा, राज्य में उत्पादित मछलियों के लिए बेहतर बाजार की सुविधा उपलब्ध कराने हेतु सभी प्रमंडल मुख्यालयों में होल-सेल मछली बाजार एवं सभी जिला मुख्यालयों में खुदरा मछली बाजार की स्थापना की जायेगी, प्रखंड स्तरीय मत्स्यजीवी सहयोग समितियों का अभी कोई कार्यालय नहीं है, जल्द ही सभी प्रखंड स्तरीय समितियों को कार्यालय एवं कम्प्यूटर तथा एक कर्मी की व्यवस्था की जायेगी। उन्होंने कहा कि राज्य के सभी मछुआरों का निबंधन कराया जायेगा, इसी वर्ष राज्य के 12 लाख मछुआरों का बीमा कराया जायेगा, मत्स्य फसल बीमा भी लागू की जायेगीं, राज्य में मछलियों में लगने वाले बीमारियों की जांच हेतु अत्याधुनिक प्रयोगशाला की स्थापना की जायेगी, मत्स्य चारा की गुणवत्ता जांच हेतु प्रयोगशाला स्थापित किया जायेगा, 1000 मछुआरों को मछुआरा आवास उपलब्ध कराया जा रहा है, मत्स्य प्रशिक्षण योजना, वायोफ्लॅाक योजना चलायी जा रही है। 
    इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्री मदन साहनी, माननीय मंत्री, खाद्य एवं आपूर्ति विभाग, बिहार सरकार विशिष्ट अतिथि श्री रामचन्द्र साहनी, पूर्व मंत्री, विहार सरकार, श्री अर्जुन साहनी, मा0 विधान पार्षद श्री विद्यसागर निषाद, माननीय सदस्य विहार विधान सभा, निदेशक मत्स्य श्री धमेन्द्र कुमार एवं पदाधिकारी एवं राज्य के विभिन्न जिलों से आये मत्स्य पालक उपस्थित थे।
 

You can share this post!

09-12 फरवरी तक राज्यस्तरीय कृषि यंत्र प्रदर्शनी -सह- किसान मेला का आयोजन

कोरोना वायरस से डरने की नहीं, बल्कि सावधानी बरतने की जरूरत -डाॅ॰ प्रेम कुमार