कृषि मंतà¥à¤°à¥€ डॉ. पà¥à¤°à¥‡à¤® कà¥à¤®à¤¾à¤° ने कहा है कि राजà¥à¤¯ में लघॠव सीमांत किसानों की आरà¥à¤¥à¤¿à¤• उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ के लिठसामूहिक खेती को बà¥à¤¾à¤µà¤¾ दिया जाà¤à¤—ा। सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤–ंडों में कृषक उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦ संगठन का गठन किया जा रहा है। आतà¥à¤®à¤¾ के तहत à¤à¥€ समूहों का गठन किया जा रहा है।
बामेती में किसान उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤• संगठन व पà¥à¤°à¤—तिशील किसानों से फीडबैक लेने के लिठआयोजित कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® में मंतà¥à¤°à¥€ ने कहा कि सरकार की योजनाओं से अवगत कराने के लिठपà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¤£ कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® चलाया जाà¤à¤—ा। केंदà¥à¤° सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगà¥à¤¨à¥€ करने के लिठसंकलà¥à¤ªà¤¿à¤¤ है। राजà¥à¤¯ सरकार की सोच है कि हर à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ की थाली में बिहारी वà¥à¤¯à¤‚जन हो। चूंकि बिहार में 95 फीसदी किसान लघॠव सीमांत हैं। कम जोत के कारण उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ पर असर होता है। सामूहिक खेती से उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ बà¥à¥‡à¤—ा और किसानों को औने-पोने à¤à¤¾à¤µ में अपने उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦ नहीं बेचने होंगे। ई-मारà¥à¤•à¥‡à¤Ÿà¤¿à¤‚ग से à¤à¥€ किसान अपने उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦ को उचित मूलà¥à¤¯ पर बेच सकते हैं। संगठनों को 10 लाख तक अनà¥à¤¦à¤¾à¤¨ मिलता है। अब तक 172 कृषक उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤• संगठन बन चà¥à¤•à¤¾ है। 362 की पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ चल रही है।